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Cyber Fraud: 2000 रुपये से अधिक के First Transaction में हो सकती है 4 घंटे की देरी, जारी होंगे नए नियम

वित्त वर्ष 2023 में, बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ी के मामलों की कुल संख्या 13,530 थी, जिसमें कुल 30,252 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी. इसमें से लगभग 49 प्रतिशत मामले डिजिटल पेमेंट से जुड़े हैं.

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Online Fraud: ऑनलाइन पेमेंट में धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऑनलाइन फ्रॉड पर लगाम कसने के लिए सरकार First Transaction को लेकर कुछ नियम जारी करने जा रही है. सरकार सरकार दो व्यक्तियों के बीच पहली बार होने वाले एक विशेष राशि से अधिक के लेनदेन के लिए न्यूनतम समय निर्धारित करने की योजना बना रही है. इस योजना में दो व्यक्तियों के बीच पहले लेनदेन के लिए संभावित चार घंटे की विंडो शामिल होने की संभावना है. अगर सरकार ये नए नियम जारी करता है तो 2000 रुपये से अधिक के First Transaction में 4 घंटे की देरी हो सकती है.

नए नियम से क्या कुछ बदलेगा

हालांकि इस प्रक्रिया से डिजिटल भुगतान में कुछ बाधा आने की उम्मीद है, लेकिन अधिकारियों का मानना ​​है कि साइबर सुरक्षा चिंताओं को कम करना आवश्यक है.

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ये सुनिश्चित करने के लिए, योजना केवल खाता निर्माण पर पहले लेनदेन में देरी या सीमित करने की नहीं है – जो पहले से ही अधिकांश डिजिटल भुगतान माध्यमों में किसी न किसी आकार में होता है – बल्कि दो उपयोगकर्ताओं के बीच हर पहले लेनदेन को विनियमित करने के लिए है, भले ही उनका स्वतंत्र पिछला लेनदेन कुछ भी हो.

उदाहरण- जब कोई यूजर नया UPI अकाउंट बनाता है, तो वो पहले 24 घंटों में अधिकतम 5,000 रुपये भेज सकता है. इसी तरह, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) के मामले में, लाभार्थी के सक्रिय होने के बाद पहले 24 घंटों में 50,000 रुपये (पूरे या आंशिक रूप से) ट्रांसफर किए जा सकते हैं.

लेकिन,अगर नया नियम जारी होता है तो हर बार जब कोई यूजर किसी अन्य उपयोगकर्ता को 2,000 रुपये से अधिक का पहला भुगतान करता है तो चार घंटे की समय सीमा लागू होगी, जिसके साथ उन्होंने पहले कभी लेनदेन नहीं किया है.

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ऑनलाइन फ्रॉड के कुल कितने मामले?

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान बैंकों में डिजिटल भुगतान श्रेणी में सबसे अधिक धोखाधड़ी देखी गई. वित्त वर्ष 2023 में, बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ी के मामलों की कुल संख्या 13,530 थी, जिसमें कुल 30,252 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी. इसमें से लगभग 49 प्रतिशत मामले डिजिटल पेमेंट से जुड़े हैं.

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