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उत्तर प्रदेश

विज्ञानियों ने तैयार की डेंगू की दवा, कानपुर समेत देश के 20 सेंटरों में होगा ट्रायल, जानिए; क्या होंगी शर्तें

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कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। अब डेंगू वायरल पर भी लगाम लग सकेगी। इसका अभी तक कोई इलाज नहीं था, अब विज्ञानी डेंगू की दवा बनाने में कामयाब हो गए हैं। मरीजों पर दवा का क्लीनिक ट्रायल करने की अनुमति प्रदान की गई है। देश में 20 सेंटरों में 10 हजार डेंगू मरीजों पर ट्रायल होना है, जिसमें जीएसवीएम और लखनऊ का किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के अलावा आगरा मेडिकल कालेज भी शामिल है। जीएसवीएम में 100 मरीजों पर दवा का ट्रायल कर असर देखा जाएगा।

डेंगू वायरल का अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं था। विशेषज्ञ चिकित्सक अभी तक डेंगू के मरीजों का इलाज लक्षणों के आधार पर करते थे। जटिलता के हिसाब से इलाज का निर्धारण होता था। हर साल अगस्त से अक्टूबर-नवंबर तक डेंगू वायरल जमकर कहर बरपाता है। इस समस्या को देखते हुए मुंबई स्थित सन फार्मा कंपनी डेंगू की दवा तैयार करने में जुटी थी। पौधों पर आधारित दवा प्यूरीफाइड एक्यूस एक्सट्रैक्ट आफ कुक्कुलस हिरसूटस (एक्यूसीएच) तैयार करने में कामयाब हुई है, इसमें एंटी वायरल प्रवृत्ति होती है। इस दवा की लैब टेस्टिंग और चूहों पर प्रयोग के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। इससे उत्साहित कंपनी ने ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीजीसीआइ) से मानव पर क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति लेकर इंडियन क्लीनिकल रिसर्च प्रोटोकाल का पालन करते हुए देशभर में ट्रायल करा रही है।

देश के 20 सेंटरों पर ट्रायल: कानपुर, लखनऊ, आगरा, मुंबई, थाणे, पुणे, औरंगाबाद, अहमदाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, मंगलोर, बेलगाम, चेन्नई, चंडीगढ़, जयपुर, विशाखापटनम, कटक, खुर्दा, जयपुर एवं नाथवाड़ा।

ये शर्तें करनी होंगी पूरी:

  • डेंगू पीडि़त मरीज की उम्र 18 वर्ष से ऊपर हो।
  •  मरीज में डेंगू की पुष्टि 48 घंटे पहले हुई हो।
  •  आठ दिन तक हास्पिटल में रखा जाएगा।
  •  सात दिन तक उसे दवा की डोज दी जाएगी।
  • इलाज के 17 दिन बाद तक रहेगा निगरानी में।

इनका ये है कहना: 

डेंगू की दवा को डीजीसीआइ से अनुमति मिलने के बाद कंपनी देशभर के 20 सेंटरों ट्रायल कर रही है, जिसमें जीएसवीएम मेडिकल कालेज भी है। यहां 100 डेंगू पीडि़तों पर ट्रायल किया जाना है, जिन्हें किसी भी तरह की दिक्कत न हो। उनका लिवर फंक्शन टेस्ट व किडनी फंक्शन टेस्ट नार्मल होना चाहिए। कोड के साथ दवा मुहैया कराई गई है। उसका नाम अभी घोषित नहीं किया है। अभी तक यहां छह पीडि़त ही पंजीकृत हुए हैं। – प्रो. रिचा गिरि, चीफ गाइड एवं विभागाध्यक्ष मेडिसिन, जीएसवीएम

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