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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में मानव अधिकार का हनन हो रहा है तो तत्काल डायल करें यह इंपोर्टेंट नंबर, पढ़ें पूरी खबर

अगर उत्तर प्रदेश में आपके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. तो आप इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं. यह नंबर सीधा लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश स्टेट हृयूमन राइट कमीशन को लगता है.

International Human Rights Day 2021: उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है, ऐसे में यहां आने वाले मानवाधिकार हनन के मामलों की संख्या भी देश के बाकी राज्यों की संख्या में काफी अधिक होती है. यहां के नागरिकों के मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए राज्य मानव अधिकार आयोग हमेशा से सजग रहा है. आज विश्व मानव अधिकार दिवस है और यह तारीख अपने मानव अधिकारों की रक्षा के लिए जागरुक लोगों के लिए बड़े महत्व का है. आज इस मौके पर हम आपको इस राज्य से जुड़े कुछ ऐसे इंपोर्टेंट फोन नंबर्स दे रहे हैं, जो आपके मानव अधिकारों के हनन की सूरत में आपकी बहुत मदद करेंगे. 

सबसे इंपोर्टेंट नंबर (0522)  2728109
इस कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण नंबर है (0522)  2728109 है, जो सीधे लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश स्टेट हृयूमन राइट कमीशन को लगता है. मानव अधिकार हनन संबंधी किसी भी शिकायत के लिए इसी नंबर पर संपर्क किया जा सकता है और इसके अलावा ईमेल एड्रेस uphrclko@yahoo.co.in पर शिकायत की जा सकती है. यह जानकारी खुद  उत्तर प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग के चेयर पर्सन जस्टिस बाल कृष्ण नारायण के कार्यालय की ओर से हमसे शेयर की गई है. यदि आपको लगता है कि मामले को सीधे ही चेयर पर्सन के समक्ष रखा जाना चाहिए तो उत्तर प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग के चेयर पर्सन जस्टिस बाल कृष्ण नारायण के खुद के कार्यालय के नंबर (0522)  2728101 पर भी संपर्क किया जा सकता है. 

आज ही जारी हुआ था घोषणा पत्र
10 दिसंबर एक ऐसी तारीख जिसे हमारे इतिहास के लिए बहुत खास माना जाता है. इस दिन को  ‘अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस’ (Human Rights Day) के रूप में मनाया जाता है. साल 1948 में आज ही के दिन यूनाइटेड नेशन्स ने विश्व मानवाधिकार (Universal Human Rights) घोषणा पत्र जारी कर पहली बार इंसानों के अधिकारों की बात उठाई थी, जिसके बाद इंसानी अधिकारों को पहचान देने और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए हमें कुछ विशेष अधिकार दिए गए. तब से लेकर आज तक यह दिन ह्यूमन राइट्स डे के रूप में मनाया जाने लगा. साल 1993 में 28 सितंबर को मानव अधिकार कानून में शामिल किया गया. इसके बाद 12 अक्टूबर, 1993 को ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ (National Human Rights Commission of India) बनाया गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि हर इंसान सुरक्षित महसूस कर सके, खुलकर आजादी से अपनी जिंदगी जी सके. इसते साथ ही किसी भी तरह के भेदभाव से दूर रहकर बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्ण तरीके से रह सके. इसके तहत देश में शिक्षा का अधिकार जैसे कई सामाजिक अधिकारों को शामिल किया गया. 

क्या हैं मानवाधिकार (Human Rights)
मानवाधिकार (Human Rights) यानि इंसान का वो अधिकार, जिससे हर कोई बिना किसी के दबाव के अपनी जिंदगी जी सके. जो हमारे जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है. यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन (Indian Constitution, Part-3) में मूलभूत अधिकारों (Findamental Rights) के नाम से मौजूद हैं. इतना ही नहीं अगर कोई इन अधिकारों का उल्लंघन करते हुए पाया गया, तो कोर्ट उन्हें सजा भी सुनाती है. मतलब विश्व में रहने वाले हर इंसान के अधिकार का दिन. इंसानी अधिकारों को पहचान देने और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए हमें कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं, जो हमसे किसी भी परिस्थिति में छीने नहीं जा सकते. पूरे विश्व में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम पर रोक लगाने के लिए इसका खास महत्व है.

क्यों जरूरी हैं मानवाधिकार ?
ह्यूमन राइट्स इसलिए बनाए गए, ताकि देश में सभी को समान अधिकार मिल सकें. किसी के बीच भेदवाद न हों. देश में आज कहीं भी लोगों के बीच लिंग, जाति, रंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक विचार, संपत्ति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता. और न ही किसी को जाति, लिंग या रंग का आधार पर परेशान नहीं किया जा सकता. हम सब एक ही हैं और कोई भी सरकार या संस्था हमें भेदभाव में नहीं बांध सकती.

भारत में जागरूकता की जरूरत
देश में मानवाधिकारों की बात की जाए, तो आज भी कई लोग इसके बारे में नहीं जानते. जबकि ये अधिकार सबके लिए हैं. पिछड़े इलाकों में जागरूकता का स्तर कम है. वहां के लिए आम बात हो सकती है कि मानवाधिकारों का हनन हो रहा हो. ऐसे एरिया में अधिकतर ऐसा होता है कि जिन लोगों के पास पावर है, वह सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं. शहरों में ऐसा भी होता है कि लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी है, लेकिन वे इनसे गलत फायदा उठाने लगते हैं. इसलिए जरूरत है कि कम जागरूक लोगों को मानवाधिकारों के बारे में बताया जाए. और कुछ लोगों को यह भी सिखाया जाए कि अधिकार फायदा उठाने के लिए नहीं, शांतिपूर्वक और प्यार से जीवन व्यतीत करने के लिए हैं.

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