बिहार के मुंगेर जिले में गंगा नदी के ऊपर बने डबल डेकर श्रीकृष्ण सेतु का 19 साल के बाद आज उद्धाटन होगा. मुंगेरवासियों को इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ा है. आखिर क्या बाधा आई और क्यों इंतजार की घड़ियां इतनी लंबी रहीं. जानिए इस रेल सह सड़क पुल से जुड़ी खास बात….
Bihar Munger Bridge: अपने शिलान्यास के बाद 19 साल तक उद्घाटन की राह देख रहा गंगा नदी पर बना मुंगेर का रेल सह सड़क पुल श्रीकृष्ण सेतु के लिए आज बहुत बड़ा दिन है. आज इस पुल का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों होना है. इस पुल के उद्घाटन के बाद मुंगेरवासियों को बड़ी सौगात मिल जाएगी, जिसका वे वर्षों से इंतजार कर रहे थे. बता दें कि मुंगेर में गंगा पर रेल सह सड़क पुल की मांग को लेकर लंबे समय से यहां के लोग आंदोलन चला रहे थे. आज उनकी ये तमन्ना पूरी हो जाएगी. आखिर क्या रही इस पुल के शिलान्यास से लेकर उद्घाटन के बीच इतने लंबे इंतजार की वजह, जानिए ZEE NEWS के रिपोर्टर प्रशांत कुमार की यह खास रिपोर्ट…
जानिए क्यों खास है ये श्रीकृष्ण सेतु
मुंगेर की जनता की आकांक्षाओं तथा उनके दर्द को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने समझा और उन्होंने 26 दिसंबर 2002 को दिल्ली से रिमोट कंट्रोल के माध्यम से मुंगेर में इस श्रीकृष्ण सेतु की आधारशिला रखी. उस समय बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में रेल मंत्री हुआ करते थे और इस नाते वे इस रेल सह सड़क पुल के शिलान्यास के मौके पर मुंगेर पहुंचे थे.
उस समय इस महत्वाकांक्षी डबल डेकर पुल की कुल अनुमानित लागत 921 करोड़ आंकी गई थी. लेकिन अब जब शिलान्यास के लगभग 19 साल 2 माह बाद इसके उद्घाटन का समय आया है तो इसकी कुल लागत तीन गुना बढ़कर 2777 करोड़ पहुंच गई है. इस सेतु के शिलान्यास से लेकर उद्घाटन के बीच लगभग दो दशक में जहां एक ओर मंहगाई बढ़ी वहीं दूसरी ओर इसके निर्माण में राजनीतिक हस्तक्षेप भी बड़ी बाधा बनी. लेकिन आखिरकार अब जाकर मुंगेरवासियों का सपना साकार होने जा रहा है.
अप्रैल 2016 से यात्री ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ था
इस रेल सह सड़क सेतु से यात्री ट्रेन का परिचालन अप्रैल 2016 से आरंभ हुआ और बेगूसराय रेलवे स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, बेगूसराय के तत्कालीन सांसद डा. भोला सिंह तथा मुंगेर की तत्कालीन सांसद वीणा देवी ने हरी झंडी दिखाकर पहली यात्री टेन को जमालपुर के लिए रवाना किया था. उस समय ही इस रेल सह सड़क पुल का नामकरण श्रीकृष्ण सेतु के रुप में किया गया था.
इससे पूर्व मार्च 2013 में पहली बार इस रेलखंड पर ट्रेन परिचालन का ट्रायल किया गया थ. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाकर एक साथ दीघा पुल तथा मुंगेर रेल सह सड़क सेतु पर मालगाड़ी के परिचालन को आरंभ किया था.
टोपो लैंड की जमीन बनी थी बड़ी बाधा
लगभग 14. 517 किमी लंबे रेल सह सड़क सेतु के एप्रोच पथ का निर्माण कार्य पंचकुला हरियाणा की निर्माण कंपनी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन के द्वारा 1 दिसंबर 2018 से आरंभ किया गया. लेकिन लालदरवाजा के पास स्थित टोपोलैंड की जमीन इसके निर्माण में मुख्य बाधा बनी. इस टोपोलैंड जमीन पर बसे लोग अपनी जमीन बिना मुआवजा के एनएचएआई को देने को तैयार नहीं थे. इस पर लंबे समय तक रार चलता रहा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एप्रोच पथ निर्माण में आने वाली टोपोलैंड की जमीन के रैयतीकरण करने तथा सभी भूस्वामियों को मुआवजा देने का निर्देश दिया. इसके बाद कहीं जाकर कार्य आरंभ हुआ. इस प्रकार निर्माण कार्य आरंभ होने के लगभग 31 महीने के बाद एप्रोच पथ का निर्माण कार्य पूरा हो पाया और इस वजह से पुल के उद्घाटन में इतना वक्त लगा
मुंगेर से खगड़िया की दूरी अब मात्र 25 किलोमीटर हो जाएगी
गंगा पर निर्मित रेल सह सड़क सेतु की कुल लंबाई 3.75 किलोमीटर है, जबकि इससे जुड़ने वाले एप्रोच पथ अर्थात एनएच 333 बी की लंबाई 14.517 किलोमीटर है. मुंगेर की ओर एप्रोच पथ की लंबाई 9.394 किलोमीटर तथा खगड़िया की ओर एप्रोच पथ की लंबाई 5.198 किलोमीटर है. इस प्रकार यदि हम एप्रोच पथ एवं रेल सह सड़क पुल की कुल लंबाई जोड़ दें तो एनएच 333बी कुल लंबाई 18.267 किलोमीटर होगी. जबकि यह एनएच 333बी खगड़िया एवं बेगूसराय के बीच एनएच 31 को तथा मुंगेर के तेलिया तलाब के पास एनएच 80 को आपस में जोड़ेगा. इस एनएच 333बी के चालू हो जाने से मुंगेर एवं खगड़िया के बीच की कुल दूरी महज 25 किलोमीटर रह जाएगी तथा मुंगेर से बेगूसराय के बीच की दूरी घटकर महज 50किलोमीटर लगभग रह जाएगी.