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राजस्थान

राजस्थान और पंजाब मिलकर कराएंगे इन्दिरा गांधी नहर की रिलाइनिंग का काम

इन्दिरा गांधी नहर की रिलाइनिंग का काम-पंजाब 450 और राजस्थान 250 करोड़ रुपए खर्च करेंगे। राजस्थान सरकार 67 और पंजाब सरकार 53 किलोमीटर की रिलाइनिंग का काम करवाएगी। रिलाइनिंग के दौरान 30 दिन तक आंशिक बन्दी की जाएगी केवल पीने के लिए दो हजार क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाएगी।

जागरण संवाददाता, जयपुर। इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की रिलाइनिंग (रखरखाव) का काम प्रारम्भ हो गया है। राजस्थान और पंजाब सरकार रिलाइनिंग का काम करवा रही है। रिलाइलिंग के कारण इन्दिरा गांधी नहर में 60 दिन में बन्दी शुरु हो गई है। राजस्थान सरकार 67 और पंजाब सरकार 53 किलोमीटर की रिलाइनिंग का काम करवाएगी। रिलाइनिंग के दौरान 30 दिन तक आंशिक बन्दी की जाएगी, केवल पीने के लिए दो हजार क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाएगी। इसके बाद अगले 30 दिन पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बन्द रहेगी, जिससे राज्य के आधा दर्जन जिलों में पीने के पानी का संकट उत्पन्न हो सकता है।

दोनों सरकारें मिलकर खर्च करेगी पैसा

इन्दिरा गांधी नहर के 67 किलोमीटर के हिस्से में रिलाइनिंग के काम के कारण 21 मार्च से 20 अप्रैल तक आंशिक और 21 अप्रैल से 22 मई तक पूर्ण बन्दी होगी । बन्दी के दौरान दोनों सरकारें अपने-अपने हिस्से में नहर की रिलाइनिंग पर पैसा खर्च करेगी । राजस्थान में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियन्ता अमरजीत सिंह मेहरड़ा ने बताया कि पंजाब सरकार 450 करोड़ रूपये और राजस्थान सरकार 250 करोड़ रूपये खर्च करेगी । उन्होंने कहा कि पीने के पानी का संकट उत्पन्न नहीं हो इसके लिए दो चरण में नहरबन्दी करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत आंशिक नहरबन्दी में पीने के पानी की आपूर्ति के लिए 496आरडी सरहिन्द फीडर के पास बंधा लगाकर दो हजार क्यूसेक पानी दिया जाएगा।

मेहरड़ा ने बताया कि रिलाइनिंग के बाद राजस्थान के हिस्से में सीपेज(लीकेज)से हो रहे नुकसान से बचा जा सकेगा। एक तरफ तो सिंचाई विभाग का दावा है कि पीने के पानी की समस्या नहीं होगी,लेकिन दूसरी तरफ पिछले सालों के अनुभव देखते हुए किसानों का कहना है कि बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में पेयजल का संकट उत्पन्न हो सकता है। ऐसा पिछले सालों में भी होता रहा है। पिछले सालों में स्थानीय स्त्रोतों से पेयजल की आपूर्ति की जाती रही है जो काफी कम रहता है। बन्दी के दौरान इन जिलों के खेतों में सिंचाई का पानी बिल्कुल नहीं मिल सकेगा,जिससे फसल खराब हो सकती है। 

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