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कोरोना संकट के बीच एक नई बीमारी ने बढ़ाई मुसीबत, बुखार से जुड़ा है मामला; कोविड जैसे ही हैं लक्षण

कोरोना वायरस का संकट (Coronavirus Crisis) के बीच लासा फीवर (Lassa Fever) नाम की बीमारी सामने आई है, जो आने वाले समय में दुनिया के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकती है.

  • कोरोना जैसे ही हैं लासा फीवर के लक्षण
  • नाइजीरिया में इस साल 123 लोगों की हुई मौत
  • 1969 में आया था लासा का पहला मामला

नई दिल्ली: कोरोना वायरस का संकट (Coronavirus Crisis) अभी खत्म भी नहीं हुआ है और इस बीच बुखार से जुड़ी एक बीमारी सामने आई है, जो तेजी से पैर पसार रही है. आने वाले समय में यह बीमारी दुनिया के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकती है. लासा फीवर (Lassa Fever) नाम की इस बीमारी से नाइजीरिया में लोग तेजी से संक्रमित हो रहे हैं और इस बीच एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच लासा फीवर का प्रकोप बढ़ता है तो नाइजीरिया समेत दुनिया के अन्य देशों के लिए भी मुश्किल बढ़ सकती है.

नाइजीरिया में इस साल 123 लोगों की हुई मौत

नाइजीरिया सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक 659 लोगों में लासा फीवर (Lassa Fever) से संक्रमण की पुष्टि हुई है, जबकि इस साल 88 दिनों में लासा फीवर से 123 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा ब्रिटेन में भी लासा फीवर के तीन मरीज मिले हैं, जिसमें से एक की मौत हो चुकी है.

लासा फीवर से पीछे यह वायरस है जिम्मेदार

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, लासा फीवर एक्यूट वायरल हैमरेजिक फीवर होता है, जो लासा वायरस (Lassa Virus) के कारण होता है. लासा का संबंध वायरसों के परिवार एरिनावायरस से है और मनुष्य आमतौर पर इसकी चपेट में अफ्रीकी मल्टीमैमेट चूहों से आते हैं. मनुष्य पर लासा फीवर का प्रभाव दो से 21 दिन तक रहता है.

कोरोना जैसे ही हैं लासा फीवर के लक्षण

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लासा वायरस (Lassa Virus) की चपेट में आने पर व्यक्ति को तेज बुखार, सिर दर्द, गले में खराश, मांसपेशी में दर्द, सीने में दर्द, डायरिया, खांसी, पेट में दर्द और जी मिचलाने जैसे लक्षण नजर आते हैं. गंभीर मरीजों में चेहरे पर सूजन, फेफड़ों में पानी, मुंह और नाक से खून निकलने लगता है. इसके अलावा मरीज के ब्लड प्रेशर में भी तेजी से गिरावट आने लगती है.

संक्रमितों का पता लगाना मुश्किल

लासा बुखार (Lassa Fever) को लेकर सबसे बड़ी टेंशन यह है कि इसके 80 फीसदी मामले एसिम्पटोमेटिक (asymptomatic) होते हैं, जिसकी वजह से इसका पता लगाना काफी मुश्किल है. यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के मुताबिक कुछ मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है और उनकी बीमारी काफी गंभीर हो सकती है. लासा वायरस से पीड़ित अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों में से 15 फीसदी तक की मौत हो सकती है.

कैसे फैलता है लासा बुखार?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, लासा बुखार (Lassa Fever) संक्रमित चूहे के मल-मूत्र के जरिए फैलता है और अगर कोई व्यक्ति चूहे के मल-मूत्र के संपर्क में आता है तो वह लासा बुखार से संक्रमित हो सकता है. इसके बाद संक्रमित संक्रमित व्यक्ति अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है. कुछ मामलों में संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थ या श्लेष्मा झिल्ली जैसे आंख, मुंह, नाक के संपर्क में आने से भी संक्रमण फैल सकता है.

1969 में आया था लासा का पहला मामला

लासा वायरस लासा बुखार (Lassa Fever) उसी परिवार से जुड़ा है, जिससे इबोला और मार्गबर्ग वायरस है. लासा बुखार पहली बार 1969 में नाइजीरिया के लासा शहर में खोजा गया था और इसी शहर के नाम पर इस बीमारी का नाम पड़ा है. इस बीमारी का पता तब चला जब नाइजीरिया में दो नर्सों की इससे मौत हो गई थी.

क्या हैं लासा बुखार के लक्षण?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लक्षणों के गंभीर होने तक लासा बुखार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है और इसके लक्षण 1 से 3 सप्ताह बाद विकसित होते हैं. लासा बुखार के लक्षणों में थकान, सिरदर्द, कमजोरी, बुखार आदि शामिल हैं. इसके अलावा कुछ मामलों में सांस लेने में कठिनाई, चेहरे का फूलना, रक्तस्राव, सीने में दर्द, पेट में झटका या उल्टी आदि महसूस हो सकते हैं.

कब हो सकती है लासा बुखार से मौत?

यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल का मानना है कि लासा बुखार (Lassa Fever) के लक्षणों की शुरुआत से दो सप्ताह के बाद कुछ मामलों में मल्टी ऑर्गन फेल होने की वजह से मरीज की मौत हो सकती है.

क्या हैं लासा बुखार से बचने के उपाय?

कोरोना संक्रमण के बीच लासा बुखार (Lassa Fever) का संकट काफी गंभीर हो सकता है, इसलिए इस बीमारी से बचने के लिए उन जगहों पर ना जाने की सलाह दी जा रही है, जहां चूहे आ सकते हैं. इसके अलावा घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और वेंटिलेशन का खास ध्यान रखें.

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