Toy Train: देश के कई पहाड़ी क्षेत्रों में टॉय ट्रेनों संचालन होता है. इस ओर यात्रियों को और सुविधा देने के लिए भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. आइये आपको बताते हैं इस फैसले के बारे में.
Toy Train in Himachal Pradesh: हिल स्टेशन जाना लगभग सभी लोग पसंद करते हैं. यहां जाने वालों में टॉय ट्रेन के प्रति भी क्रेज जरूर रहता है. पहाड़ में घूमने की इच्छा रखने और टॉय ट्रेन से यात्रा करने वालों के लिए खुशखबरी है. सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लिए तीन नई टॉय ट्रेनों का ऐलान किया है. आइये आपको बताते हैं सरकार के इस फैसले के बारे में सबकुछ.
118 सालों में देश को एक भी टॉय ट्रेन नहीं मिली
सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि देश में पांच टॉय ट्रेन चलती हैं. लेकिन पिछले 118 सालों में देश को एक भी टॉय ट्रेन नहीं मिली है. यानी आजादी से पहले कि ये अंग्रेजों की चलाई हुई है. यह पहली बार होगा जब देश की सरकार द्वारा टॉय ट्रेन तैयार की जाएगी और संचालित होगी.
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कपूरथला में तैयार हो रही ट्रेन
भारतीय रेलवे हिमाचल प्रदेश में तीन नई टॉय ट्रेनों को तैनात करने के लिए तैयार है. ‘लाइवमिंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के अंत तक शिमला-कालका रूट पर ये ट्रेनें चलाई जाएंगी. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि कालका-शिमला टॉय ट्रेनों के डिब्बे रेल कोच फैक्ट्री (RCF) कपूरथला में बनाए जा रहे हैं.
जानें इन ट्रेनों की खासियत
नई ट्रेन के कोच जर्मन निर्माता लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) द्वारा डिजाइन किए गए हैं. टॉय ट्रेनों के लिए कुल 30 नई जेनरेशन के एलएचबी कोच होंगे जो 765 मिमी नैरो गेज का उपयोग करते हैं. सुविधा की बात करें तो.. नई ट्रेनों में एसी कोच में 180 डिग्री रोटेटेबल चेयर सीट और जीएस कोच में फ्लिप-टाइप सीटिंग की व्यवस्था होगी. ट्रेन में सीसीटीवी, सभी कोच में दो आपातकालीन अलार्म पुश बटन, एक यात्री अनाउंसमेंट सिस्टम, एक यात्री सूचना प्रणाली, इंफोटेनमेंट के लिए वाईफाई और एक सिंक-इन एलईडी डेस्टिनेशन बोर्ड होगा.
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ऐसे होंगे इन टॉय ट्रेनों के कोच
नई कालका-शिमला टॉय ट्रेनें प्राइवेट या ग्रुप बुकिंग के मामले में बैठने के पैटर्न में संशोधन की अनुमति देंगी. कोच विस्टाडोम कोच होंगे, जो बेहद ही आकर्षक नजारे का अनुभव कराएंगे. छत में ग्लेजिंग (वीएलटी) कर्व्ड ग्लास लगा होगा, बॉडीसाइड डबल-फोल्डेबल दरवाजे, अत्याधुनिक फ्लोर के साथ एलईडी इसे और भी आकर्षक बनाएगी.
देश में इन जगहों पर चलती हैं टॉय ट्रेन
नई टॉय ट्रेनें 1903 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित 96.6 किलोमीटर नैरो-गेज ट्रैक पर चलेंगी. कालका-शिमला के अलावा, भारत दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे (तमिलनाडु), माथेरान हिल रेलवे और कांगड़ा वैली रेलवे (हिमाचल प्रदेश) जैसी टॉय ट्रेनों का संचालन करता है.