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राजस्थान

Temple Demolition: अलवर में मंदिर पर बुलडोजर चलाने का मामला, अब गुलाबचंद कटारिया ने कही ये बात

अलवर में 300 साल पुराना शिव मंदिर तोड़े जाने पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सरकार को आड़े हाथ लिया है. कटारिया के मुताबिक नगरपालिका की क्या बिसात जो सरकार की मंशा के खिलाफ ऐसा कोई काम कर दे?

Shiva Temple Demolition Case: अलवर के राजगढ़ में 300 साल पुराना शिव मंदिर पर बुलडोजर चलाने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. मामले में सियासी घमासान जारी है. नेताओं के पक्ष विपक्ष में बयानबाजी हो रही है. अब नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मामले में सरकार को एक बार फिर आड़े हाथ लिया है. आपको बता दें कि इन दिनों राजस्थान देश की राजनीति का केंद्र बन चुका है. अलवर में कई नेता पहुंच रहे हैं. 

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर लगाया दोहरे मापदंड का आरोप

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार दोहरे मापदंड के आधार पर काम करती है और यही लोगों में नाराजगी का कारण बन रहा है. कटारिया ने कहा कि सरकार अगर इतनी बहादुर है तो ऐसा कोई एक मामला बता दे, जहां कब्रिस्तान या कोई कब्र सड़क के बीच में आ रही हो जिसे विकास के नाम पर सरकार ने हटाया हो? उन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार सिर्फ हिंदुओं को निशाना बना रही है और सांप्रदायिकता बढ़ाने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार का माहौल को सांप्रदायिक करने का प्रयोग चल रहा है.

राजगढ़ में मंदिर तोड़े जाने का मामला सोची समझी साजिश

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राजगढ़ का मामला सोची-समझी साजिश लग रहा है कि कैसे विद्वेष की भावना बढ़े? उन्होंने कहा कि करौली का दंगा भी योजनाबद्ध तरीके से सरकार की देख-रेख में हुआ. कटारिया ने कहा कि राजगढ़ के मामले में नगर पालिका पर दोष मढ़ा जा रहा है, लेकिन नगरपालिका की क्या बिसात जो सरकार की मंशा के खिलाफ जाकर ऐसा कोई काम कर दे?

राजगढ़ में मास्टर प्लान और गौरव पथ की आड़ में नगर परिषद प्रशासन की कार्रवाई में मकानों और दुकानों सत सराय बाजार में स्थित बरसों पुराने तीन मंदिरों को भी तोड़ा गया है. इस मामले में कांग्रेस का कहना था कि राजगढ़ नगर पालिका में बीजेपी का बोर्ड है और बीजेपी बोर्ड ने प्रस्ताव पास किया गया था, लेकिन नगर पालिका के चेयरमैन सतीश दुहारिया का कहना है मीटिंग में पुराने अधूरे पड़े गौरव पथ को पूरा करने की बात हुई. साथ ही अतिक्रमण में छज्जों को हटाने पर सहमति बनी लेकिन जिस तरह मंदिरों को तोड़ा गया, ऐसा कोई निर्णय नही लिया गया था. 

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