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शेयर बाजार

Stock Market Closing: शेयर बाजार में कोहराम, 52 हफ्ते के निचले स्तरों पर बंद हुआ सेंसेक्स-निफ्टी

Stock Market Closing Update: भारतीय शेयर में सुबह की तेजी के बाद मुनाफावसूली देखी गई जिसके चलते बाजार लाल निशान में बंद हुआ है. सेंसेक्स करीब 1100 तो निफ्टी 331 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ है.  

Stock Market Closing On 16th June 2022:  गुरुवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए अमंगल साबित हुआ है.  खराब ग्लोबल संकेतों के चलते भारतीय शेयर में सुबह की तेजी के बाद मुनाफावसूली देखी गई जिसके चलते बाजार लाल निशान में जाकर बंद हुआ है. आज  का कारोबार खत्म होने पर सेंसेक्स करीब 1045 तो निफ्टी 331 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ है. मुनाफावसूली के चलते मुंबई स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक सुबह के अपने हाई से 1767 अंक नीचे जा फिसला. तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी उच्चतम स्तरों से 528 अंक नीचे जा लुढ़का. 

बाजार का हाल 
गुरुवार के ट्रेडिंग सेशन के खत्म होने पर मुंबई स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक सेंसेक्स 1046 अंकों की गिरावट के साथ 51,495 अंकों पर  तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 331 अंकों की गिरावट के साथ 15,360 अंकों पर क्लोज हुआ है.

सेक्टर का हाल 
शेयर बाजार में आज ऑटो, एनर्जी ऑयल एंड गैस सेक्टर बैंकिंग, आईटी, मेटल्स सेक्टर गिरावट के साथ बंद हुआ है. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, एफएमसीजी और फार्मा सेक्टर में भी गिरावट देखी गई है.  निफ्टी के 50 शेयरों में 3 शेयर हरे निशान में तो 47 शेयर लाल निशान में बंद हुए. सेंसेक्स के सभी 30 शेयरों 1 हरे निशान में तो 29 शेयर लाल निशान में बंद हुए .दरअसल यूरोपीय देशों के शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ खुले हैं. जिसके चलते भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आ गई. सेंसेक्स और निफ्टी 52 हफ्ते के निचले स्तर पर जा लुढ़का. मेटल सेक्टर के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई. मेटल इंडेक्स में 4 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है. 

क्यों गिरे भारतीय बाजार
अमेरिका में बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. अमेरिकी फेडरल बैंक ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है और इतनी बड़ी बढ़ोतरी 28 सालों के बाद यानी 1994 के बाद की गई है. इस फैसले के चलते भी भारतीय बाजार दवाब में है. बता दें कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाने का ये फैसला वहां बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिये हुआ है. अमेरिका में महंगाई दर 40 साल में सबसे ऊंचे स्तर पर आ गई है और मई के महीने में ये 8.6 फीसदी पर रही थी.  

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