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धर्म

Guru Purnima 2022: आज है गुरु पूर्णिमा, जानें इसका महत्व, पूजा-विधि का सही तरीका

आज है गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) पर्व. इस पर्व को देश में पूरी श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. आज का दिन सभी गुरु को समर्पित है. आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा का महत्व, पूजा-विधि.

आज है गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) पर्व. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है. इस पर्व को देश में काफी धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. इस पर्व की खास मान्यता है. माना जाता है कि आज के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था और उनकी स्मृति में आज के दिन व्यास जयंती भी लोग मनाते हैं. आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. गुरु को एक खास दर्जा प्राप्त है. एक गुरु हम सभी को नेक राह पर चलने का ज्ञान देते हैं. अच्छे-बुरे के फर्क को समझाते हैं. नेक इंसान बनने की शिक्षा देते हैं. आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा पर्व की पूजा विधि क्या है और इसका महत्व क्या है.

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें. अपने पूजा स्थल की अच्छी तरह से सफाई कर लें. यहां गंगा जल छिड़क दें. आज के दिन अपने गुरु, भगवान विष्णु और वेद व्यास जी की पूजा करते हैं. जिनके गुरु नही हैं, वे भगवान विष्णु को गुरु मानकर उनकी पूजा करें. स्नान के बाद सबसे पहले अपने गुरु को घर पर आमंत्रित करें. फिर उनका आदर सत्कार करें. उनके पांव पखारें. उनका आशीर्वाद लें. भोजन करने के बाद वस्त्र और दक्षिणा से संतुष्ट करें. यदि गुरु नही हैं, तो भगवान विष्णु को पीले फूल, अक्षत, केला, फल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. मिष्ठान से भोग लगाएं. विष्णु चालीसा का पाठ करें और आरती करें. वेद व्यास जी ने मनुष्यों के ज्ञान के लिए पुराणों की रचना की, उनकी भी पूजा करें. पूजा के अंत में भगवान से प्राथना करें की आप हमारे जीवन में अपनी कृपा हमेशा बनाए रखें, ताकि हम सदैव आगे बढ़ें.

यदि आपके गुरु आपके पास हैं, तो उनका आशीर्वाद लें. आप आज के दिन अपने गुरु के पास जाकर भी उनका आशीवार्द जरूर लें. इस दिन दान करने से जीवन में मौजूद सभी दुख-दर्द दूर होते हैं.

गुरु पूर्णिमा का महत्व क्या है
धार्मिक ग्रंथ के अनुसार, महर्षि वेद व्यास को भगवान विष्णु का रूप माना गया है. इस दिन जो भी श्रद्धा भाव से पूजा -पाठ करने से कुंडली में बैठे पितृदोष, गुरु दोष दूर हो जाते हैं.

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