All for Joomla All for Webmasters
बिज़नेस

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेते वक्‍त जरूर समझ लें सब लिमिट का फंडा, नहीं तो आधा ही होगा फायदा, जेब से भरने पड़ेंगे पैसे

Personal Finance- हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी (health insurance Policy) का पूरा फायदा आप तभी ले सकते हैं जब आप पॉलिसी लेने से पहले उसकी पूरी जांच-पड़ताल करेंगे. आपको पता होना चाहिए बीमा कंपनी किस काम के लिए कितना भुगतान करेगी.

ये भी पढ़ेंनए टैक्‍स रिजीम में भी ले सकते हैं कई छूट का लाभ, रिटर्न भरते समय न करें चूक, बचेंगे हजारों रुपये

नई दिल्‍ली. आज हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Health Insurance Policy) हर व्‍यक्ति की अहम जरूरत बन चुकी है. इलाज पर खर्च बहुत बढ़ गया है. लोग बीमारियों का शिकार भी ज्‍यादा होने लगे हैं. ऐसी स्थिति में स्‍वास्‍थ्‍य बीमा पॉलिसी की अहमियत और आवश्‍यकता, दोनों ही पहले से कहीं ज्‍यादा हो गई हैं. आपको भी अगर बीमा पॉलिसी लेनी है तो पॉलिसी लेने से पहले नियम-शर्तों और बीमा शब्‍दावली को जरूर ढ़ंग से समझ लें. ऐसा न करने पर आप पॉलिसी का पूरा लाभ नहीं ले पाएंगे. सब लिमिट भी एक ऐसा ही नियम है, जिसे जानना बेहद जरूरी है. ज्‍यादातर लोग पॉलिसी लेते वक्‍त सब लिमिट की जानकारी नहीं लेते हैं और फिर क्‍लेम सेटलमेंट के वक्‍त पछताते हैं.

सब-लिमिट एक बीमा पॉलिसी में प्रदान की गई कवरेज की राशि पर एक कैप है. स्पष्ट रूप से यह कैप पॉलिसी में एक निश्चित राशि के रूप में व्यक्त की जाती है. कुछ बीमारियों या उपचार के साथ-साथ कुछ सेवाओं के लिए सब लिमिट रखी जाती हैं. कई बार सब लिमिट को सम-एश्‍योर्ड के प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है तो कई बार एक निश्चित राशि के रूप में इसे बताया जाता है.

ये भी पढ़ें– Govt Jobs 2023 : मेडिकल कॉलेज में 1974 स्टाफ नर्स की निकली भर्ती, 1 मार्च तक ऑनलाइन भरें फॉर्म

ऐसे समझें सब लिमिट का फंडा
मान लें कि आपकी पॉलिसी की बीमा राशि 5 लाख है. लेकिन पॉलिसी में किसी बीमारी के इलाज के लिए सब लिमिट रखी है. सब लिमिट अगर 50,000 रुपये है और आपका खर्च बीमारी के इलाज पर 100000 रुपये हो गया है. इस स्थिति में बीमा कंपनी केवल 50,000 रुपये ही देगी. क्‍योंकि पॉलिसी में उसने पहले ही उस बीमारी के इलाज की सब लिमिट का उल्‍लेख कर रखा था. अब भले ही आपकी पॉलिसी का सम-एश्‍योर्ड 5 लाख रुपये है, परंतु सब लिमिट की वजह से आपको बाकी के बचे 50,000 रुपये अपनी जेब से देने होंगे.

सेवाओं पर भी सब लिमिट 
बीमारियों ही नहीं कुछ सेवाओं पर भी बीमा कंपनियां सब लिमिट रखती हैं. आमतौर पर यह अस्‍पताल के कमरे के किराए, आईसीयू के चार्जेज, एम्बुलेंस फीस या ओपीडी फीस सहित बहुत सी सर्विसेज पर लागू होती है. जैसे बीमा कंपनी अस्‍पताल के कमरे के किराए पर सब लिमिट रखते हुए शर्त रख सकती है कि वह किराए के रूप में केवल 3000 रुपये ही प्रतिदिन चुकाएगी. अगर आप अस्‍पताल में ऐसा कमरा लेते हैं, जिसका किराया 5 हजार रुपये है तो फिर ऊपर के दो हजार रुपये आपको अपनी जेब से चुकाने होंगे.

सब लिमिट सम एश्‍योर्ड राशि के प्रतिशत में भी हो सकती है. मान लीजिए कि आपकी बीमा राशि 5 लाख है और कमरे के किराए की सब लिमिट बीमा राशि का 2% है, तो आप 10,000 रुपये तक राशि का क्‍लेम ही कमरे के किराए के रूप में कर सकेंगे. इससे ज्‍यादा नहीं. भले ही आपकी पॉलिसी 5 लाख रुपये की है.

ये भी पढ़ें– EPFO ने अकाउंट होल्डर्स के लिए जारी की चेतावनी, इग्नोर किया तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा

जरूर समझ लें इसे
बीमा पॉलिसी लेने से पहले आपको उसमें शामिल सभी सब लिमिट्स की जानकारी ले लेनी चाहिए. आपको ऐसी पॉलिसी चुननी चाहिए, जिसमें सब लिमिट कम हों. आमतौर पर ज्‍यादा सब लिमिट वाली पॉलिसी का प्रीमियम कम होता है. कम प्रीमियम के चक्‍कर में हम इन्‍हें ले लेते हैं. बात जब अस्‍पताल में बिल चुकाने की आती है, तब हमें पता चलता है कि हम गलती कर बैठे हैं.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top