IMD Alert on Heat wave: मौसम विभाग के आंकड़ों को देखें तो मार्च का महीना भी सामान्य से भी अधिक गर्म होगा और भारत के अधिकांश हिस्सों में चिलचिलाती गर्मी से लोगों को दोचार होना पड़ेगा. अगर ऐसी ही गर्मी पड़ती रही तो इस साल की रबी की फसलों, विशेष रूप से गेहूं पर इनका खासा बुरा असर पड़ सकता है.
नई दिल्ली. सर्दियों का मौसम अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ है कि गर्मी की चिंता सताने लगी है. देश के 7 राज्यों पंजाब, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और झारखंड में अभी से ही अधिकतम तापमान उस स्तर तक जा पहुंचा है, जितना मार्च में मध्य में दर्ज किया जाता है. इन सात राज्यों में रिकॉर्ड किए जा रहे सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान के साथ ही इस साल बेहद ज्यादा गर्मी पड़ने का अनुमान जताया जाने लगा है.
ये भी पढ़ें– Lok Sabha Election: ‘2024 के चुनाव में 100 सीटों पर सिमट जाएगी BJP’, नीतीश ने बताया विपक्ष की जीत का फॉर्मूला
मौसम विभाग के आंकड़ों को देखें तो मार्च का महीना भी सामान्य से भी अधिक गर्म होगा और भारत के अधिकांश हिस्सों में चिलचिलाती गर्मी से लोगों को दोचार होना पड़ेगा. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह के उच्च तापमान का मतलब है कि सात राज्यों ने पिछले सप्ताह में कम से कम एक बार मध्य मार्च जितने अधिकतम तापमान का अनुभव किया है.
कुल 17 राज्यों में सामान्य से अधिक गर्म
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पहले ही बताया था कि ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में जो औसत अधिकतम तापमान रिकॉर्ड किया गया, वह 1981-2010 के दौरान 18 मार्च को हुआ करता था. यही पैटर्न गुजरात और राजस्थान में 17 मार्च को, छत्तीसगढ़ में 15 मार्च को, पंजाब में 12 मार्च को और झारखंड में 14 मार्च को देखा गया था.
वहीं 10 अन्य राज्यों उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में, पिछले सप्ताह में कम से कम एक दिन अधिकतम लगभग दो सप्ताह आगे (फरवरी के अंत) के स्तर पर था.
ये भी पढ़ें– शादी के कार्ड में दुल्हन के भाई ने छपवा दी ऐसी चीज, पढ़ते ही बौखला गई पुलिस और भेज दिया जेल
क्या मार्च भी गर्म होगा?
IMD के आंकड़ों को तार्किक रूप से देखें तो साफ है कि फरवरी में ही मार्च जैसी गर्मी पड़ रही है तो ऐसे में साफ है कि मार्च का महीना सामान्य से काफी अधिक गर्म हो सकता है. 1951 के बाद से 39 वर्षों में फरवरी का महीना सामान्य से ज्यादा गर्म देखा जा चुका है और इनमें से 27 वर्षों में मार्च के दौरान बेतहाशा गर्मी पड़ी है.
हालांकि, इन दो महीनों में तापमान विचलन के बीच कोई मजबूत संबंध नहीं है. वास्तव में, तीन सबसे गर्म फरवरी महीने (2006, 1960, और 1967) के बाद मार्च सामान्य से अधिक ठंडा रहा, जिसका अर्थ है कि गर्मी को लेकर अभी पैनिक बटन दबाने से रुकना चाहिए.
रबी की फसलों को हो सकता है नुकसान
इस साल शुरुआती गर्मी का एक बड़ा कारण इस साल सर्दियों में बारिश की कमी है. 16 फरवरी को जारी आईएमडी के पूर्वानुमान के मुताबिक, देश के ज्यादातर हिस्सों में अगले दो हफ्ते में भी इस गर्मी से कोई राहत की उम्मीद नहीं है.
अगर ये रुझान नहीं बदलते हैं तो इस साल की रबी की फसलों, विशेष रूप से गेहूं पर इनका खासा प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. शुरुआती गर्मी भी गेहूं की फसल के लिए हानिकारक होगी, क्योंकि पंजाब भी इन दिनों अधिकतम तापमान वाले राज्यों में से एक है.