प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि 2023-24 का केंद्रीय बजट , पिछले 8-9 वर्षों की तरह ही कृषि क्षेत्र पर केंद्रित है और तिलहन तथा खाद्य तेलों पर भारत की आयात निर्भरता को कम करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
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कृषि और सहकारिता क्षेत्रों के हितधारकों के साथ बजट के बाद एक वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का कृषि बजट कई गुना बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
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उन्होंने कहा, ‘‘2014 में हमारे सत्ता में आने से पहले कृषि क्षेत्र का बजट 25,000 करोड़ रुपये से कम था. आज देश का कृषि बजट 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक है.
उन्होंने कहा कि सरकार दलहन और तिलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है. उन्होंने कहा कि भारत खाद्य तेल के आयात पर लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है.
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि बजट कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप पर केंद्रित है और इनके लिए धन आवंटित करने के लिए कोष का भी प्रस्ताव किया गया है.
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उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या नौ साल पहले लगभग नगण्य थी जो अब बढ़कर 3,000 से अधिक हो गई है.
पीएम ने यह भी कहा कि सहकारी क्षेत्र में एक नई क्रांति हो रही है. उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र पहले केवल कुछ राज्यों तक सीमित थे लेकिन अब पूरे देश में इसका विस्तार किया जा रहा है.
यह प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित किया गया दूसरा वेबिनार था. उन्होंने बृहस्पतिवार को हरित विकास के विषय पर विस्तार से अपनी बात रखी थी. कुल मिलाकर, वह 11 मार्च तक इस प्रकार के 12 वेबिनार को संबोधित करने वाले हैं.
केंद्रीय बजट 2023-24 में उल्लिखित ‘‘सप्तऋषि’’ प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों व विभागों द्वारा वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है.
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इस सप्ताह की शुरुआत में एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि बजट घोषणाओं के कार्यान्वयन में तालमेल लाने के तथा सभी हितधारकों को एक साथ लाने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा बजट के बाद वेबिनार का विचार रखा गया था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को लोकसभा में आम बजट पेश किया था.