Mass Wedding at Tamil Nadu Village: तमिलनाडु के एक गांव पडनथोराई में आयोजित सामूहिक विवाह के कार्यक्रम में हर धर्म के जोड़े हिस्सा लेते हैं. सभी जोड़ों का विवाह उनकी धार्मिक परंपराओं के साथ कराया जाता है. इन जोड़ों को निजी खर्च के साथ ही 5 तोला सोना भी दिया जाता है. इस गांव में गरीबी को देखकर डॉ. अब्दुस्सलाम मुस्लियार ने 2014 में पडनथोराई में सामूहिक विवाह के कार्यक्रम का आयोजन कराना शुरू किया था. अब तक इस तरह के 5 आयोजन कराए गए हैं.
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चेन्नई. तमिलनाडु (Tamil Nadu) और केरल (Kerala) की सीमा पर स्थित आर्थिक तौर से एक पिछड़े गांव में सुन्नी युवजन संघम (Sunni Yuvajana Sangham) ने रविवार को एक सामूहिक विवाह (mass wedding) का कार्यक्रम संपन्न कराया. गुडलूर के पास पडनथोराई में पदनथारा मरकज के परिसर में आयोजित इस सामूहिक विवाह में 800 से अधिक युवक और युवतियां विवाह के बंधन में बंधे. तमिलनाडु-केरल सीमा पर स्थित इस छोटे से गांव में आयोजित इस कार्यक्रम को सांप्रदायिक सौहार्द (communal harmony) की बेहतरीन मिसाल के तौर पर सराहा गया है. समारोह में शादी करने वाले 74 दुल्हा-दुल्हन गैर-मुस्लिम थे. इस सामूहिक विवाह समारोह में हिंदू और ईसाई जोड़ों ने भी शादी की.
‘द हिंदू’ अखबार की एक खबर के मुताबिक इस पूरे सामूहिक विवाह समारोह में मौलवियों ने निकाह की रस्मों को पूरा करवाया, वहीं दूसरे धर्मों के 74 दुल्हनों और दूल्हों के विवाह संस्कार पड़ोसी मुथुमरियम्मन मंदिर और एक चर्च में पूरे किए गए. विवाह के धार्मिक संस्कारों के बाद हिंदू और ईसाई जोड़े अपने मुस्लिम दोस्तों के साथ पदंथरा मरकज के प्रांगण में तैयार किए गए एक विशाल पंडाल में शामिल हुए. इस शानदार पल को देखकर कई लोग अपने आंसू नहीं रोक सके. एक शख्स ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव की इस घटना ने इसे देखने वाले हजारों दूसरे लोगों की तरह मुझे भी अभिभूत कर दिया.
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देवरशोला अब्दुस्सलाम मुस्लियार ने आर्थिक रूप से पिछड़े गांव में इस आयोजन को पांचवीं बार आयोजित करवाया. उन्होंने इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस मेगा आयोजन के लिए जरूरी रकम जुटाने से उनको खुशी मिलती है. इस सामूहिक विवाह समारोह में हिस्सा लेने वाले जोड़ों को कपड़े और अन्य निजी खर्चों के अलावा पांच तोला सोना भी दिया गया. कई परोपकारी लोगों ने इस सामुदायिक विवाह को आयोजित करने में मदद की. डॉ. अब्दुस्सलाम मुस्लियार ने 2014 में पडनथोराई और उसके आसपास के झोपड़ियों में रहने वाले युवाओं की दयनीय दुर्दशा को देखकर ये सामाजिक प्रयोग शुरू किया. तब से सामूहिक विवाह के पांच आयोजन कराए गए और 1,520 गरीब जोड़ों को इसका लाभ मिला है.