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दुनिया

किस बदलाव ने दिलाई थी डायनासोर को दुनिया की बादशाहत?

डायनासोर

पृथ्वी के जीवों के इतिहास में आखिर डायनासोर इतने अहम क्यों है.  क्या इसकी वजह यह है कि वे किसी कौतूहल भरी कहानी के आकर्षक किरदार लगते हैं या वे पृथ्वी के इतिहास में एक अहम समय में रहा करते थे, या फिर वास्तव में जीवन के उद्भव में वे प्रमुख और प्रभावकारी जानवर थे. किसी विलुप्त जीव पर सबसे ज्यादा शोध अगर हुआ है तो वे डायनासोर ही हैं. अब वैज्ञानिकों को उनसे संबंधित एक शोध में पता चला है कि वे पृथ्वी के जीवों पर इतने हावी कैसे हो सके और खुद को पृथ्वी के विविधता भरे वातावरण में बहुत ही लंबे समय तक जीवित कैसे रख सके.इसका रहस्य उनकी खास हड्डियों में है.

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खोखली हड्डियों का कमाल
ब्राजील के पेलेओन्टोलॉजिस्ट टीटो ऑरेनियानो ने पाया है कि डायनासोर की खोखली हड्डियों के खाली स्थान में छोटे खाली थैली नुमा संरचना उनकी इस उपलब्धि के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हीं की वजह से डायनासोर की वंशावली कई बार विपरीत और अलग अलग हालातों में भी खुद को कायम रखने में सफल हुई.

खोखली हड्डियों का कमाल
ब्राजील के पेलेओन्टोलॉजिस्ट टीटो ऑरेनियानो ने पाया है कि डायनासोर की खोखली हड्डियों के खाली स्थान में छोटे खाली थैली नुमा संरचना उनकी इस उपलब्धि के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हीं की वजह से डायनासोर की वंशावली कई बार विपरीत और अलग अलग हालातों में भी खुद को कायम रखने में सफल हुई.

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तीन वंशावलियों में विकसित हुई ऐसी संरचना
अध्ययन के मुताबिक हवा से भरी हड्डियां तीन अलग वंशों में विकसित हुई. एक तो उड़ने वाले सरीसृत पिटेरोसॉरस, दूसरे में थेरोपॉड वंश के डायनासोर जिसमें कौए के आकार के माक्रोरैप्टर सहित विशाल टी रेस्क शामिल हैं. और तीसरे सॉरोपोडोमोर्फ्स यानि लंबी गर्दन वाले शाकाहारी डायनासोर थे.  तीनों में अलग अलग समय और जगहो पर ऐसी हड्डियां विकसित हुईं.

किसका किया गया अध्ययन

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उत्तर ट्रियासिक काल (23.3 करोड़ साल पहले) के डायनासोर पर ध्यान दिया जिनके जीवाश्म दक्षिण ब्राजील में पाए गए थे.  जब भी जानवरों में प्रजनन होता है तो उद्भव प्रक्रिया जेनेटिक कोड में एक विविधता पैदा करता है, जो बच्चों में जाकर आगे वंशों में प्रमुख रूप से दिखने लगती है. लेकिन कई तरह के बदलाव अचानक और बिना किसी निश्चित कारकों के कारण ही हो जाते हैं.

एक विशेष तरह का परिवर्तन
एक तरह के बदलाव का बार बार होने विकास का संकेत है जो किसी अहम और प्रभावी समाधान की ओर इशारा करता है. जिस विशेष बदलाव का शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया वह रीढ़ की हवादार हड्डी थी जिससे डायनासोर की ताकत बढ़ी और उनके शरीर का भार भी कम हो गया. सीटी स्कैन तकनीकि से ऑरेनियानो और उनके साथियों में जीवाश्मों का अध्ययन किया.

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इस गुण का एक पूर्वज नहीं
इस आधुनिक तकनीक के बिना जीवाश्म के रीढ के अंदर की हवाई थैली जैसी सरंचनाओं का पकड़ पाना संभव नहीं था.शोधकर्ताओं ने पाया कि इस गुण का कोई एक समान पूर्वज नहीं था. यानि सभी तीन समूहों मे अलग अलग समय पर इनका स्वतंत्र विकास हुआ था. इनसे डायनासोर के खून में ऑक्सीजन स्तर बढ़ गए.

क्या हुआ फायदा
ट्रियासिक काल कुछ गर्म और शुष्क जलवायु भरा था. जबकि ऑक्सीजन खून में ज्यादा बहती थी और डायनासोर का शरीर प्रभावी तौर पर ठंडा रह पाता था इससे उनमें फुर्ती भी देखने को मिली. इससे उनकी आंतरिक संरचना को भी मजबूती मिली और मांसपेशियां अधिक ताकतवर बनीं और बिना वजन बढ़े डायनासोर का आकार भी बड़ा हुआ.

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जीवित पक्षियों में भी हवा वाली हड्डियां शरीर का पूरा मांस और आयतन कम कर देती है जबकि इससे हड्डियां कठोर और मजबूत हो जाती है और यह उड़ान  भरने मे सहायक होता है. देखने में आया है कि इस तरह के गुण आज कई जानवरों में दिखते हैं. आज के कई पक्षी उड़ने के लिए खोखली हड्डियों पर ही निर्भर होते हैं. हाथियों के सिर में भी ऐसी संरचना है और इंसानों के सिर में ऐसी ही हड्डी की भी एक परत होती है.

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