भारत में रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है. जिसके आधार पर ही जमीन की खरीद-बिक्री होती है. आपको बताते हैं कि रजिस्ट्री के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि नकली रजिस्ट्री के बारे में पता लगाया जा सके.
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नई दिल्ली. देश में जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े घोटाले और गड़बड़ी के मामले में अक्सर सामने आते रहते हैं. कई बार शातिर बदमाश सरकारी जमीन की, एक ही लैंड की डबल रजिस्ट्री कराकर लोगों को चूना लगा देते हैं. ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति को असली और नकली रजिस्ट्री के बीच का फर्क मालूम होना चाहिए. दरअसल प्रॉपर्टी खरीदने पर उसके मालिकाना हक को विक्रेता से क्रेता के पक्ष में ट्रांसफर करवाना ही रजिस्ट्री कहलाता है.
भारत में रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है. जिसके आधार पर ही जमीन की खरीद-बिक्री होती है. लेकिन इस दौरान कुछ शातिर लोग जमीन खरीदार के पास पर्याप्त समझ नहीं होना का फायदा उठाते हैं और धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं. आइये आपको बताते हैं कि रजिस्ट्री के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि नकली रजिस्ट्री के बारे में पता लगाया जा सके.
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जमीन की रजिस्ट्री से जुड़ी धोखाधड़ी के प्रकार
एक अनुमान के अनुसार, हर साल देश में 40 फीसदी रजिस्ट्री फर्जी हो जाती हैं. आमतौर पर लोग सिर्फ जमीन की रजिस्ट्री और खतौनी डॉक्यूमेंट्स देखते हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि इन दस्तावेजों को देखकर इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है कि जमीन पर विक्रेता का मालिकाना हक है या नहीं?
-एक ही जमीन की डबल रजिस्ट्री
-सरकारी जमीन की रजिस्ट्री
-जमीन केस पेंडिंग होने पर रजिस्ट्री
-लोन बंधक जमीन की रजिस्ट्री
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जमीन की रजिस्ट्री में धोखाधड़ी से जुड़े मामलों से बचने के लिए सबसे पहले आपको जमीन की नई और पुरानी रजिस्ट्री को देखना चाहिए. जो व्यक्ति आपको जमीन बेच रहा है उसने अगर किसी और शख्स से लैंड खरीदी थी तो क्या उस व्यक्ति को रजिस्ट्री कराने का कानूनी अधिकार था. वहीं, आपको खतौनी को चेक करना चाहिए. खतौनी में आपको आदेश देखना चाहिए. यदि आप इन दस्तावेजों की समझ नहीं रखते हैं तो इन मामलों से जुड़े कानूनी जानकार की सलाह जरूर लें.
चकबंदी अभिलेख 41-45 चेक करें
चकबंदी के 41 और 45 अभिलेख देखना चाहिए, जिससे यह पता चलता है कि यह जमीन किस श्रेणी की है. कहीं ये सरकारी जमीन तो नहीं है या फिर गलती से विक्रेता के नाम तो नहीं आ गई है. चकबंदी के 41 और 45 अभिलेख जमीन की वास्तविक स्थिति को स्पष्ट कर देते हैं कि लैंड सरकारी, वन विभाग या रेलवे की तो नहीं है. यह जमीन के सबसे महत्वपूर्ण अभिलेख है.
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जमीन से जुड़े कानूनी विवाद के बारे में पता करें
कई बार वसीयत या डबल रजिस्ट्री के केस कोर्ट में लंबित होती है. इसलिए जब भी आप जमीन खरीदें तो यह देख लें कि उस पर किसी प्रकार का कोई केस पेंडिंग तो नहीं है. इस बारे में तहसील से जमीन के डाटा नंबर से और भू-स्वामी के नाम से पता चल सकता है.
इसके अलावा लोन बंधक जमीन यानी जिस लैंड पर किसी तरह का कोई ऋण हो, इसकी जांच व पुष्टि कर लेनी चाहिए. वहीं, जो व्यक्ति आपको जमीन बेच रहा है क्या उसका लैंड पर वास्तविक रूप से कब्जा है, इस बात की भी जांच करनी चाहिए.