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बैंकिंग फंड vs डेट फंड vs बैंक FD: 5 साल में किसने कितना दिया रिटर्न, कहां लगाएं पैसे?

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Banking Sector Investment: बैंकिंग सेक्‍टर में निवेश करने वाली कुछ और भी स्‍कीम हैं जो एफडी के मुकाबले 3 से 4 गुना रिटर्न दे सकती हैं. हम यहां बत कर रहे हैं इक्विटी बैंकिंग म्‍यूचुअल फंड की.

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Banking Mutual Funds Bank FD vs Debt Banking Funds: देश के सेंट्रल बैंक आरबीआई (RBI) द्वारा लगातार ब्‍याज दरें बढ़ाए जाने के चलते प्रमुख बैंकों ने फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट की ब्‍याज दरों में भी इजाफा किया है. एफडी जैसी स्‍माल सेविंग्‍स स्‍कीम पहले से ज्‍यादा अट्रैक्टिव दिखने लगी हैं और 5 साल की स्‍कीम में 7 से 7.5 फीसदी सालाना तक रिटर्न मिल रहा है. हालांकि आप थोड़ा रिस्‍क लेने का तैयार हैं तो बैंकिंग सेक्‍टर में निवेश करने वाली कुछ और भी स्‍कीम हैं जो एफडी के मुकाबले 3 से 4 गुना रिटर्न दे सकती हैं. हम यहां बत कर रहे हैं बैंकिंग म्‍यूचुअल फंड की. इक्विटी सेक्‍टोरल बैंकिंग कैटेगिरी में ऐसी कई स्‍कीम हैं, जिनका बीते 5 साल में रिटर्न 24 फीसदी सालाना तक रहा है; वहीं बैंकिंग डेट फंड भी तीसरे विकल्‍प हैं, जिनमें आगे ग्रोथ का अनुमान है.

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टॉप रिटर्न: इक्विटी सेक्‍टोरल बैंकिंग म्‍यूचुअल फंड

निप्‍पॉन इंडिया ETF निफ्टी पीएसयू बैंक फंड

5 साल का रिटर्न: 24%
5 साल का SIP रिटर्न: 18.95%

कोटक निफ्टी PSU बैंक ETF

5 साल का रिटर्न: 23.72%
5 साल का SIP रिटर्न: 19%

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सुंदरम फाइनेंशियल सर्विसेज अपॉर्च्‍यूनिटी फंड

5 साल का रिटर्न: 16.50%
5 साल का SIP रिटर्न: 16%

टाटा बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज फंड

5 साल का रिटर्न: 15%
5 साल का SIP रिटर्न: 16%

SBI निफ्टी बैंक ETF

5 साल का रिटर्न: 14.50%
5 साल का SIP रिटर्न: 14.22%

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इक्विटी सेक्‍टोरल बैंकिंग म्‍यूचुअल फंड की बात करें तो इसके जरिया आपका पैसा बैंकिंग, फाइनेंशियल और इंश्‍योरेंस सेक्‍टर में लगाया जाता है. बैंकिंग सेक्‍टर की ग्रोथ का फायदा उठाने के लिए इसमें निवेश किया जा सकता है. हालांकि ये स्‍कीम इक्विटी से लिंक हैं, जिसके चलते रिस्‍क होता है. एक्‍सपर्ट का कहना है कि भले ही ग्‍लोबल बैंकिंग क्राइसिस चल रही है, लेकिन घरेलू बैंकिंग सेक्‍टर मजबूत है. यह सेक्‍टर आरबीआई द्वारा रेगुलेट किया जा रहा है. फिर भी यह कंजर्वेटिव निवेशकों के लिए नहीं है. इसमें आपका अलोकेशन कम से कम 3 से 5 साल के लिए होना चाहिए. सेक्‍टोरल म्‍यूचुअल फंड्स में रिस्‍क होता है, इसलिए उन निवेशकों को ही इन स्‍कीम्‍स में जाना चाहिए, जो इस सेक्‍टर को अच्‍छी तरह समझते हों.

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Banking & PSU डेट म्‍यूचुअल फंड

इडेलवाइस बैंकिंग एंड पीएसयू डेट फंड: 8.35%
बंधन बैंकिंग & पीएसयू डेट फंड: 7.82%
कोटक बैंकिंग एंड पीएसयू डेट फंड: 7.71%
निप्‍पॉन इंडिया बैंकिंग & पीएसयू डेट फंड: 7.71%

मौजूदा समय की बात करें तो रेट हाइक के चलते डेट सेग्‍मेंट पर दबाव दिखा था, लेकिन अब इनमें वापस तेजी आने लगी है. बैंकिंग उेट फंडों का भी रिटर्न सुधरा है. इनमें आगे और बेहतर रिटर्न की उम्‍मीद है. असल में अब सेंट्रल बैंक रेट हाइक पर पॉज की स्थिति में आ रहे हैं और आगे ब्‍याज दरों में कटौती भी की जा सकती है. दरों में अगर कटौती होती है तो बॉन्‍ड मार्केट में फिर तेजी आएगी, जिसके संकेत मिल भी रहे हैं. एक्‍सपर्ट और ब्रोकरेज हाउस भी डेट म्‍यूचुअल फंड को लेकर पॉजिटिव हैं और थोड़ा रिस्‍क लेने वालों को स्‍माल सेविंग्‍स से ज्‍यादा रिटर्न के लिए डेट फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं.

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एक्‍सपर्ट का कहना है कि जैसे-जैसे हम रेट हाइक साइकिल के अंत के करीब आ रहे हैं और यील्‍ड बढ़ रही है, डेट मार्केट एक आकर्षक निवेश विकल्प बन गया है. भारत में, रेट साइकिल खत्‍म होने के करीब है. डेट मार्केट में हाई यील्‍ड तब मिलता है जब निवेश रेट हाइक साइकिल के पीक पर होने के आस पास किया जाता है, जो अभी है. ऐसे में साल 2023 भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर डेट मार्केट के कमबैक का साल हो सकता है.

फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट

एक्‍सपर्ट का कहना है कि अगर आप जरा भी रिस्‍क लेने के मूड में नहीं हैं तो बैंकों या पोस्‍ट ऑफिस की एफडी बेहतर विकल्‍प है. वैसे भी हाल फिलहाल में ब्‍याज दरें बढ़ने से इनका आकर्षण बढ़ा है. मार्केट लिंक न होने से इनमें पैसे डूबने का खतरा नहीं होता है. एफडी में निवेश करने पर कोई चार्ज नहीं लगता है. वहीं म्‍यूचुअल फंड में निवेश पर एक्‍सपेंस रेश्‍यो चार्ज लगता है. यह 1 से 2 फीसदी या ज्‍यादा भी हो सकता है. हालांकि लंबी अवधि वाली एफडी में लिक्विडिटी की दिक्‍कत रहती है. अच्‍छी बात यह है कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा 5 लाख रुपये पर DICGC द्वारा इंश्योरेंस प्रोग्राम के तहत सुरक्षा की गारंटी मिलती है.

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यह कवर जमा मूल राशि और उस पर लगने वाला ब्याज, दोनों के लिए होता है. दूसरी ओर, डेट फंड में निवेश पर सुरक्षा की गारंटी नहीं होती. उनकी सिक्योरिटी को डेट मार्केट में खरीदा-बेचा जाता है. क्रेडिट म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर क्रेडिट जोखिम और इंटरेस्ट रेट जोखिम भी शामिल हैं. वहीं इक्विटी सेक्‍टोरल बैंकिंग फंड तो बाजार के उतार चढ़ाव पर निर्भर है.

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