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नई तकनीक अपनाकर लगाएं धान, सारा खर्च देगी सरकार, ऑनलाइन करें आवेदन, बैंक खाते में आ जाएंगे पैसे

Sarkari Yojana- परंपरागत विधि की बजाय डीएसआर तकनीक से धान पैदा करने पर सरकार 4000 रुपये प्रति एकड़ सहायता दे रही है. इस सरकारी योजना का फायदा उठाने के किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा.

नई दिल्‍ली. लगातार गिरते भू-जल स्तर से किसानों के साथ-साथ सरकार भी परेशान हैं. केंद्र और राज्‍य सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं किसान ऐसी तकनीक अपनाएं, जिससे फसल में पानी की कम खपत हो. परंपरागत पद्धति से चावल उगाने (Paddy Farming) में पानी की खपत तो ज्‍यादा होती ही है, इसमें खर्च और मेहनत भी ज्‍यादा लगती है. अब हरियाणा सरकार चाहती है कि किसान धान की रोपाई करने की बजाय डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुआई (DSR) करे. इस तकनीक से धान उगाने पर 25 फीसदी पानी की बचत होती है. जो किसान डीएसआर तकनीक से धान बोएंगे सरकार उन्‍हें 4,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सहायता राशि भी देगी.

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हरियाणा सरकार का लक्ष्‍य राज्‍य के 12 जिलों में 2.25 लाख एकड़ जमीन में धान की सीधी बुआई कराने का है. सरकार द्वारा दिए जाने वाले 4,000 रुपये से सीधी बिजाई के लिए खाद बीज तो आ ही जाएगा साथ ही किसान का जुताई खर्च भी निकल जाएगा. फिलहाल यह योजना हरियाणा के 12 जिलों में लागू की गई है. इसका मतलब है कि 12 जिलों के किसान ही इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. योजना का लाभ उठाने के लिए ऑनलान आवेदन करना होगा. सहायता राशि किसानों के बैंक खातों में डाली जाएगी.

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हरिाणा के 12 जिलों अंबाला, यमुनानगर, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, जींद, सोनीपत, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक व हिसार में 2.25 लाख एकड़ में धान की सीधी बिजाई करने का लक्ष्य रखा गया है. इन जिलों के जो किसान परंपरागत विधि की बजाय डीएसआर तकनीक से धान की बुआई करेंगे, उन्‍हें सरकार 4,000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान देगी.

पैदावार पर नहीं पड़ता फर्क
इस पद्धति से बिजाई करने से धान की पैदावार में कोई अंतर नहीं आता है. डीएसआर विधि से धान बुआई से पानी, पैसे और मेहनत की पूरी बचत होती है. यही कारण है कि सरकार का जोर इस विधि से ज्‍यादा से ज्‍यादा धान लगवाने पर है.

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कैसे करें आवेदन?
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल (https://fasal.haryana.gov.in) पर फसल का पंजीकरण करवाना होगा. पंजीकरण के लिए आधार कार्ड, जमीन की फर्द और फैमिली आईडी की जरूरत होगी. किसान को यहां बताना होगा कि उसने कितने एकड़ में धान की सीधी बुआई की है. पोर्टल पर पंजीकरण कराने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान भौतिक सत्यापन के उपरांत सीधे उनके खाते में किया जाएगा.

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