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एजुकेशन

आखिर ट्रेन के गेट के पास वाली खिड़की पर क्यों लगी होती है ज्यादा रॉड? वजह जान घूम जाएगा दिमाग

आपने कभी यह सोचा है कि ट्रेन के डिब्बे के प्रवेश द्वार के पास की खिड़कियां बाकी खिड़कियों से अलग क्यों होती हैं.

नई दिल्ली: हम सभी जानते हैं कि भारतीय रेलवे को हमारे देश की लाइफलाइन भी कहा जाता है. रोजाना इसके जरिए लाखों लोग एक जगह से दूसरी जगह तक की अपना यात्रा करते हैं. ऐसे में आपने भी अपने जीवन में कम से कम एक बार ट्रेन से यात्रा तो की ही होगी. वहीं, कई लोग ऐसे भी होंगे, जो हफ्ते या महीने में कई बार ट्रेन से यात्रा करते हैं. लेकिन यात्रा के दौरान क्या आपने कभी यह सोचा है कि ट्रेन के डिब्बे के प्रवेश द्वार के पास की खिड़कियां बाकी खिड़कियों से अलग क्यों होती हैं? क्यों उन खिड़कियों में बाकी खिड़कियों के मुकाबले ज्यादा रॉड लगी होती है? अगर आप इन सवालों के जवाब नहीं जानते, तो कोई बात नहीं आज हम आपको इसके पीछे की खास वजह के बारे में बताते हैं.

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सबसे पहले तो आप खबर में दी गई तस्वीर पर ध्यान दें. आप देखेंगे कि दरवाजे के पास की खिड़कियों में बार की संख्या ज्यादा है, जबकि दरवाजे से दूर अन्य खिड़कियों की सलाखें कम हैं, जिस कारण उनके बीच गैप भी ज्यादा है. अब आप यह सोच रहे होंगे, कि ऐसा क्यों है.

दरअसल, बता दें कि ट्रेन के प्रवेश द्वार के पास की खिड़कियों में बाकी की तुलना में अधिक सलाखें इसलिए होती हैं, क्योंकि इस खिड़की से चोरी होने की संभावना अधिक रहती है, खासकर जब यात्री सो रहे होते हैं. जब स्टेशन आउटर पर खड़ी रहती है तो चोर अक्सर इन खिड़कियों मे हाथ डालकर सामान चुरा लेते थे, क्योंकि इन खिड़कियों तक दरवाजे की सीढ़ियों पर पैर रख कर आसानी से पहुंचा जा सकता है. जबकी बाकी खिड़कियों के जरिए चोरी करना आसान नहीं होता है, क्योंकि जब ट्रेन आउटर पर खड़ी होती है, तो उसकी बाकी खिड़कियों की हाइट काफी ज्यादा होती है, जिस कारण चोर इन खिड़कियों के जरिए चोरी नहीं कर पाते हैं.

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इसलिए इस तरह की चीजों को रोकने के लिए और यात्रियों को इन चोरों से बचाने के लिए इस खिड़की में बाकी खिड़कियों के मुकाबले ज्यादा बार लगाए जाते हैं. वहीं, जब से ऐसा किया गया है, तब से ट्रेन में चोरी के मामलों में काफी कमी आई है. 

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