मानसून आने में देरी होने से काबू में आती दिख रही मुद्रास्फीति में तेजी आ सकती है.
मुंबई: जर्मनी की ब्रोकरेज फर्म डॉयचे बैंक ने कहा कि मानसून आने में देरी होने से काबू में आती दिख रही मुद्रास्फीति में तेजी आ सकती है. डॉयचे बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में अभी तक बारिश सामान्य से 53 प्रतिशत कम हुई है. इसके अलावा जुलाई में आम तौर पर खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ते रहे हैं. ऐसी स्थिति में मुद्रास्फीति के मोर्चे पर ढिलाई बरतने की कोई भी गुंजाइश नहीं है. ब्रोकरेज फर्म ने वित्त वर्ष 2023-24 में मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. वहीं रिजर्व बैंक का अनुमान 5.1 प्रतिशत मुद्रास्फीति का है.
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उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत या उससे नीचे तभी रह सकती है जब जुलाई एवं अगस्त के महीनों में खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी न हो.
रिपोर्ट के मुताबिक, अल-नीनो के हालात बनने और मानसून आने में देरी होने से हालात मुद्रास्फीति के नजरिये से चिंताजनक हो सकते हैं. देश भर में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में विलंब होने से खरीफ सत्र की फसलों की बुवाई देर से हुई है. हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई महीने में खुदरा मुद्रास्फीति के साथ थोक मुद्रास्फीति में भी गिरावट आई है.
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बता दें कि इस बार मानसून केरल में भी देर से आया. केरल में मानसून चार दिन देरी से पहुंचा. और यहां भी इसकी रफ़्तार धीमी ही रही. मौसम विभाग भी पहले ही कह चुका है कि देश में मानसून सामान्य या इससे थोड़ा कम रहेगा. देश के कई हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होगी.