करप्शन को रोकने के लिए सरकार ने सभी पंचायतों को 15 अगस्त तक UPI सुविधा से लैस करने का फैसला किया है. पंचायती राज मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी करके यह जानकारी दी है.
देशभर में सभी पंचायतें विकास कार्यों और राजस्व संग्रह के लिए इस स्वतंत्रता दिवस से अनिवार्य रूप से डिजिटल पेमेंट सर्विस का इस्तेमाल करेंगी और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) इस्तेमाल करने वाले घोषित कर दिए जाएंगे. पंचायती राज मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी करके यह जानकारी दी है.
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मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा कि राज्यों को मुख्यमंत्रियों, सांसदों और विधायकों जैसे प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में यूपीआई इस्तेमाल करने वाली पंचायतों की ‘घोषणा और उद्घाटन’ करना चाहिए.
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया कि लगभग 98 फीसदी पंचायतें पहले से ही यूपीआई-आधारित पेमेंट करना शुरू कर चुकी हैं.
राज्य मंत्रालय के सचिव ने कहा कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PMFS) के माध्यम से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का पेमेंट किया गया है. अब पंचायतों को पेमेंट डिजिटल तरीके से किया जाएगा. चेक और नकदी से पेमेंट लगभग बंद हो गया है.
उन्होंने आगे बताया कि अब यह लगभग हर जगह पहुंच चुका है. हम पहले ही लगभग 98 फीसदी पंचायतों को कवर कर चुके हैं.
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पंचायतों को भी सेवा प्रदाताओं और ‘वेंडर’ के साथ 30 जून को बैठक करने के लिए कहा गया है. गूगल पे, फोनपे, पेटीएम, भीम, मोबिक्विक, व्हाट्सएप पे, एमेजन पे और भारत पे जैसे यूपीआई प्लेटफॉर्म्स के अधिकारियों और कर्मचारियों के डीटेल वाली सूची मंत्रालय ने साझा की है.
मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, पंचायतों को 15 जुलाई तक उपयुक्त सर्विस प्रोवाइडर को चुनना होगा और 30 जुलाई तक ‘वेंडर’ के नाम बताने होंगे.
पंचायतों को एकल ‘वेंडर’ को चुनने के लिए कहा गया है जो पूरे क्षेत्र को कवर करता है. वास्तविक समय में ट्रांजेक्शन की निगरानी के लिए एक सेंट्रलाइज्ड डैशबोर्ड बनाने की भी सिफारिश की गई है.
अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण शिविर जिला एवं ब्लॉक स्तर पर आयोजित किए जाएंगे. पंचायती राज राज्यमंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि डिजिटल ट्रांजेक्शन चालू करने से करप्शन पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि अब ज्यादातर पंचायतें डिजिटल ट्रांजेक्शन कर रही हैं. इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ जनवरी, 2023 में ही 12.98 लाख करोड़ रुपये के 806.3 करोड़ लेन-देन ‘भीम’ के माध्यम से किए गए. इसमें से लगभग 50 फीसदी ट्रांजेक्शन ग्रामीण एवं आसपास के क्षेत्रों में हुए.