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बिज़नेस

चीन को ठुकराकर भारत आ रही US की बड़ी सोलर कंपनी, अरबों डॉलर का करेगी निवेश, क्या अब टेस्ला की है बारी?

नई दिल्ली : दुनियाभर की कंपनियों ने अब धीरे-धीरे मान लिया है कि चीन का अगर कोई विकल्प है, तो वह भारत ही है। यूएस की एक बड़ी सोलर कंपनी ने इस पर मुहर लगा दी है। सोलर पैनल मैन्यूफैक्चरिंग (Solar Panel Manufacturing) में चीन का दबदबा माना जाता हैं। लेकिन यूएस (US) की फर्स्ट सोलर (First Solar) ने मैन्यूफैक्चरिंग के लिए चीन के बजाय भारत को चुना है। अमेरिका की यह कंपनी भारत में सोलर पैनल प्रोडक्शन पर अरबों डॉलर निवेश करेगी। इसके लिए कंपनी चीन से मटेरियल भी नहीं मंगवाएगी। यूएस की ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रैनहोल्म (Jennifer Granholm) ने हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स को यह जानकारी दी है। साथ ही उन्होंने ये भी संकेत दिए कि टेस्ला (Tesla) भारत में निवेश के लिए चर्चा कर रही है।

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भारत और यूएस का परफेक्ट कॉम्बिनेशन

ग्रेनहोम ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘भारत के पास एक बड़ा मार्केट है। यहां बड़े पैमाने पर डिमांड है और यूएस का कंट्रीब्यूशन लेबोरेटरीज में है। हम उत्पादन को प्रोत्साहित करने के प्रयास कर रहे हैं। यह कॉम्बिनेशन दोनों को अपने गोल्स प्राप्त करने में मदद करता है।’ उन्होंने इंटरव्यू में रिन्यूएबल सेक्टर में यूएस डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन से फंडिंग की बात भी कही। वे मंगलवार को भारत-अमेरिका स्ट्रेटेजिक क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप बैठक के लिए दिल्ली में थीं।

भारत सरकार के साथ बात कर रही टेस्ला

ग्रेनहोम से भारत में टेस्ला के इन्वेस्टमेंट प्लान के बारे में भी पूछा गया। इस पर यूएस ऊर्जा मंत्री ने कहा कि यह इलेक्ट्रिक कार कंपनी भारत सरकार के साथ बात कर रही है। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ टेस्ला के मालिक एलन मस्क की मीटिंग भी हुई थी। मस्क ने पिछले महीने कहा था कि टेस्ला जल्द ही भारत में होगी।

क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन में भारत सबसे जरूरी पार्टनर

ग्रैनहोल्म ने ऑयल एंड गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात के बाद कहा, ‘अमेरिका भारत को क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन में सबसे जरूरी पार्टनर के रूप में देखता है। भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन में बड़ी मात्रा में कमिटमेंट जताया है।’ अमेरिकी ऊर्जा मंत्री ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री आर के सिंह से भी मुलाकात की।

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फंडिंग के मामले में कमिटेड

उन्होंने कहा, ‘फंडिंग के मामले में भारत कमिटेड है और प्राइवेट सेक्टर इसे वास्तविकता में ला रहा है। उदाहरण के लिए अमेरिकी कंपनी फर्स्ट सोलर भारत में सोलर पैनल्स के उत्पादन के लिए अरबों डॉलर का निवेश करेगी। यह चीन से मटेरियल भी नहीं लेगी। वे अमेरिका में भी इसी तरह विस्तार कर रहे हैं।’

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