Chandrayaan-3 Update: भारत ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर अपने यान को सफलतापूर्वक लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया है. भारत की इस कामयाबी से दुनिया भर में भारतीय अंतरिक्ष तकनीक पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा.
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफल लैंडिंग के बाद भारत वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में शामिल हो गया है. भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है, जो ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र है, जहां गहरे गड्ढे स्थायी छाया में रहते हैं और जहां बर्फ भविष्य के मिशनों के लिए पानी, ऑक्सीजन और ईंधन प्रदान कर सकती है. चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद इसरो को कई रहस्यमय जानकारियां हाथ लग सकती हैं. आइए जानते हैं.
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अंतरिक्ष विज्ञान क्षमता
चंद्रयान-3 की कामयाबी से भारत की अंतरिक्ष विज्ञान क्षमता पर दुनिया का भरोसा बढ़ेगा. बहुत से ऐसे देश हैं जो अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट स्थापित करना चाहते हैं लेकिन उनके साथ लांचिंग की सुविधा नहीं है. ऐसे देश भारत की तरफ रुख कर सकते हैं. इसरो किफायती लागत में सैटेलाइट को लांच कर सकता है.अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लग सकती है. भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 तक 100 अरब डालर पार करने का अनुमान है. वैश्विक अंतरिक्ष प्रक्षेपण बाजार इस साल 9 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 में 20 अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है. उपग्रह प्रक्षेपण के अलावा, नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, रूस और चीन सहित बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियां कमर कस रही हैं.
ब्राह्रांड के रहस्य खुलेंगे
चंद्रयान-3 की कामयाबी से खगोलशास्त्रियों को ब्राह्रांड के रहस्य को जानने में मदद मिल सकती है. भारत रेडियो टेलीस्कोप निर्माण का केंद्र बन सकता है. चंद्रमा की सतह पर पानी, बर्फ, जीवन और चांद के निर्माण समेत कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है. प्रज्ञान रोवर अब चांद की सतह पर चलने लगा है. जो कई महत्वपूर्ण जानकारी इसरो को देगा.
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आत्मनिर्भरताः स्वदेशी उपकरण ताकत
चंद्रयान-3 में ज्यादातर उपकरण और तकनीक का निर्माण भारत में बना है. चंद्रयान-3 की कामयाबी से दुनिया भर के देशों का भारत पर भरोसा बढ़ेगा. देश में अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े सौ से अधिक स्टार्टअप है. दुनिया भर में भारत की धाक इससे बढ़ी है. अब भारत आधुनिक तकनीक के साथ अपने हिसाब से अंतरिक्ष में रिसर्च करेगा. किसी दूसरे देश के भरोसे अब हमारे वैज्ञानिक नहीं हैं.
तकनीक का दम
एआई, रोबोट की अहम भूमिका रही है. इसे दुर्गम क्षेत्रों में रोबोट से 100 फीसद काम कराने की तकनीक का परीक्षण माना जाता है. नई तकनीक का इस्तेमाल भारत में दुर्गम पहाड़ियों और अन्य इलाकों में किया जा सकता हैय रोबोट से दुर्गम पहाड़ियों में काम करने वाली तकनीक पर काम किया जा सकता है.
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दुनिया में दमखम बढ़ेगा
चंद्रयान की सफलता के बाद बड़े स्तर पर तकनीक का आदान-प्रदान हो सकता है. दुनिया के लोग भारतीय वैज्ञानिकों की ताकत का लोहा मानेगी. रूस का लूना-25 अभी हाल में ही चांद पर क्रैश हो गया था लेकिन भारत ने सफल लैंडिंग कराकर दुनिया का दिल जीत लिया है.