नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार से रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन आने वाले दिनों में इसमें बढ़ोतरी हो सकती है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने इसके संकेत दिए हैं। उनका कहना है कि अगर खानेपीने की चीजों के कीमत में तेजी का ओवरऑल महंगाई पर असर पड़ता है तो रेपो रेट में बढ़ोतरी हो सकती है। उनका कहना है कि खानेपीने की चीजों की कीमतों के आगे भी व्यापक महंगाई पर दबाव बनाने और महंगाई बढ़ने को लेकर जो आशंका है, उसे नियंत्रित करने के लिए जोखिम को पहले से ही भांपने तथा उससे निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
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एमपीसी की आठ से 10 अगस्त तक हुई मीटिंग के गुरुवार को जारी ब्योरे के मुताबिक दास ने खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी से महंगाई पर पड़ने वाले असर की आशंका के चलते नीतिगत दर रेपो को यथावत रखने का विकल्प चुना। इस बैठक में महंगाई संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया था। एम डी पात्रा, शशांक भिडे, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और राजीव रंजन सहित सभी छह सदस्यों ने नीति दर पर यथास्थिति रखने के पक्ष में मतदान किया था। दास ने कहा, ‘महंगाई रोकने का हमारा काम अभी पूरा नहीं हुआ है। सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर मौद्रिक नीति खुदरा महंगाई पर इसके प्रारंभिक प्रभाव के असर को देख सकती है।’
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महंगाई का लक्ष्य
आरबीआई को खुदरा महंगाई दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। केंद्रीय बैंक का इसे चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य है। गवर्नर ने कहा, ‘साथ ही खाद्य कीमतों के आगे भी व्यापक महंगाई पर दबाव बनाने और महंगाई बढ़ने को लेकर जो आशंका है, उसे नियंत्रित करने के लिए जोखिम को पहले से ही भांपने तथा उससे निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।’ आरबीआई के डिप्टी गवर्नर पात्रा ने कहा कि महंगाई को निर्धारित लक्ष्य तक नीचे लाने के एमपीसी के उद्देश्य के लिए मुख्य महंगाई (कोर इनफ्लेशन) में निरंतर कमी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
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आरबीआई की एमपीसी ने अपनी पिछली तीन बैठकों में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले पिछले साल मई से रेपो रेट में 2.5 परसेंट की बढ़ोतरी की गई थी। रेपो रेट बढ़कर 6.5 परसेंट हो गया है। इससे होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो गए हैं। हाल में खासकर सब्जियों की कीमत में काफी तेजी आई है। इससे जुलाई में खुदरा महंगाई 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। इससे रेपो रेट में कमी की उम्मीदें भी कम हो गई हैं।
(भाषा से इनपुट के साथ)