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31 दिसंबर तक बढ़ी तुअर, उड़द के लिए स्टॉक लिमिट, स्टॉक रखने की लिमिट 200 टन से घटाकर 50 टन की

केंद्र ने तुअर और उड़द की स्टॉक लिमिट को दो माह के लिए बढ़ा दिया है. यह समय सीमा 30 सितंबर को समाप्त होने वाली थी.

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केंद्र सरकार ने तुअर और उड़द पर मौजूदा स्टॉक रखने की लिमिट (Stock Limit) की अवधि इस साल दो महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दी है. साथ ही सरकार ने कुछ इकाइयों के लिए स्टॉक रखने की लिमिट को संशोधित किया है.

खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, डिपो में होल सेलर्स और बड़ी श्रृंखला के रीटेलर्स के लिए स्टॉक लिमिट 200 टन से घटाकर 50 टन कर दी गई है.

मिल मालिकों के लिए स्टॉक लिमिट भी पिछले तीन महीने के उत्पादन, या सालाना कैपेसिटी के 25 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, से घटाकर पिछले एक महीने के उत्पादन, या सालाना कैपेसिटी का 10 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, कर दी गई है.

मंत्रालय ने बयान में कहा कि स्टॉक लिमिट में संशोधन और समय अवधि का विस्तार जमाखोरी (Hoarding) को रोकने और बाजार में पर्याप्त मात्रा में तुअर और उड़द की उपलब्धता सुनिश्चित करने और इनको सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए है.’’

ताजा आदेश के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 दिसंबर तक तुअर और उड़द के लिए स्टॉक लिमिट निर्धारित की गई है.

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होल सेलर्स के लिए प्रत्येक दाल पर अलग से लागू स्टॉक लिमिट 50 टन होगी; रीटेलर्स के लिए पांच टन; प्रत्येक खुदरा दुकान पर पांच टन, और बड़ी श्रृंखला के रीटेलर्स के लिए डिपो पर 50 टन; मिल मालिकों के लिए उत्पादन का अंतिम एक महीने या वार्षिक स्थापित कैपेसिटी का 10 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, होगी.

हालांकि, आयातकों को लिमिट शुल्क निकासी की तारीख से 30 दिन से अधिक आयातित स्टॉक रखने की अनुमति नहीं है.

आदेश के अनुसार, संबंधित पात्र संस्थाओं को उपभोक्ता मामलों के विभाग के पोर्टल पर अपने स्टॉक की घोषणा करनी होगी और यदि उनके पास स्टॉक इस निर्धारित लिमिट से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 30 दिनो के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक लिमिट में लाना होगा.

इस साल दो जनवरी को,सरकार ने जमाखोरी (Hoarding) और सट्टेबाजी को रोकने के लिए तुअर और उड़द पर स्टॉक लिमिट लगाई थी.

बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों का विभाग स्टॉक खुलासा पोर्टल के माध्यम से तुअर और उड़द की स्टॉक स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है, जिसकी साप्ताहिक आधार पर समीक्षा की जा रही है.

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कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू खरीफ सत्र के दौरान दलहन की बुवाई का रकबा 22 सितंबर तक कम यानी 122.57 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 128.49 लाख हेक्टेयर था.

इस कमी को पूरा करने के लिए देश दालों का आयात करता है.

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