Pension in Private Job: प्राइवेट नौकरी करने वालों को आमतौर पर यह चिंता सताती है कि रिटायरमेंट के बाद पेंशन का कोई इंतजाम नहीं है.
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कहने का मतलब कि सालों तक कंपनी में नौकरी करने के बाद भी बुढ़ापा आराम से गुजरेगा कि नहीं, इसकी आशंका बनी रहती है. हालांकि, संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए EPS (इम्प्लॉई पेंशन स्कीम) की सुविधा है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद उनकी सोशल सिक्युरिटी के लिए यह पेंशन स्कीम चलता है. हालांकि, अभी इस स्कीम में मैक्सिमम सैलरी (Basic+DA) और नौकरी के साथ की लिमिट तय है. जानते इसे आसान कैलकुलेशन से समझते हैं कि प्राइवेट नौकरी से रिटायरमेंट के बाद किसी पेंशन आपको मिल सकती है.
EPS में पेंशन के क्या हैं मौजूदा नियम
EPS के लिए मैक्सिमम एवरेज सैलरी (Basic Salary + DA) 15,000 रुपये है. साथ ही इसमें पेंशन के लिए मैक्सिमम सर्विस 35 साल तक है. कर्मचारी की 58 साल की उम्र के बाद वह पेंशन का हकदार होता है. यहां यह जान लें कि EPS पेंशन 1,000 रुपये है. पेंशन के लिए कम से कम रेगुलर 10 साल तक नौकरी में रहना जरूरी रहता है. 50 साल के बाद और 58 की उम्र से पहले भी पेंशन लेने का विकल्प होता है. हालांकि, पहले पेंशन लेने पर घटी हुई पेंशन मिलेगी. इसके लिए फॉर्म 10D भरना होगा. कर्मचारी की मौत होने पर परिवार को पेंशन मिलती है. सर्विस हिस्ट्री 10 साल से कम है, तो उन्हें 58 साल की आयु में पेंशन अमाउंट निकालने का ऑप्शन मिलेगा.
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EPFO हर महीने EPF खाते में कर्मचारी की बेसिक सैलरी + डीए का 12 फीसदी जमा होता है. एम्प्लॉयर का योगदान भी इतना ही होता है. इसमें से 8.33% राशि कर्मचारी के पेंशन फंड (EPS Fund) में जाती है और बाकी 3.67% की राशि ही पीएफ खाते में जाती है.
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) अकाउंट में इम्प्लॉई की बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस (महंगाई भत्ते) का 12 फीसदी जमा होता है. लेकिन, एम्प्लॉयर की 12 फीसदी की रकम दो हिस्सों में जमा होती है. एम्प्लॉयर के 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन में से 8.33 फीसदी रकम इम्प्लॉई पेंशन अकाउंट में जमा होती है और शेष 3.67 फीसदी रकम ही ईपीएफ अकाउंट में जाती है.
EPS Formula: पेंशन का समझें फॉर्मूला
EPS में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कैलकुलेशन का आसान फॉर्मूला है. EPS= औसत सैलरी x पेंशनेबल सर्विस/ 70. यहां औसत सैलरी से मतलब बेसिक सैलरी+DA होता है. जोकि पिछले 12 महीने के आधार पर निकाली जाती है. मैसिक्म पेंशनेबल सर्विस 35 साल है. अब मैक्सिमम कंट्रीब्यूशन और नौकरे के साल पर पर EPS Calculation से पेंशन समझें- 15000 x35 / 70 = 7,500 रुपये प्रति माह. इसका मतलब कि मौजूद नियमों के मुताबिक EPS के जरिए मैक्सिमम 7500 हजार और मिनिमम 1,000 रुपये की पेंशन प्राइवेट नौकरी करने वालों को रिटायरमेंट पर मिलेगी.
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यहां यह याद रखें कि EPS का यह फॉर्मूला 15 नवंबर 1995 के बाद संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों पर लागू होगा. इससे पूर्व के कर्मचारियों के लिए अलग नियम है. दूसरी ओर, कर्मचारी संगठनों की ओर से यह मांग लगातार की जा रही है कि मौजूदा वेज स्ट्रक्चर और महंगाई दर को देखते हुए पेंशन के लिए औसत सैलरी की मैक्सिमम लिमिट को बढ़ाया जाना चाहिए.