कर्मचारियों के इस्तीफे और नियुक्ति को लेकर इंफोसिस और कॉग्निजेंट ने आमने-सामने है. इंफोसिस ने यह आरोप ऐसे समय में लगाया है जब विप्रो ने इसी तरह के आरोप को लेकर अपने दो पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा दायर किया है.
नई दिल्ली. देश और विदेश की दो दिग्गज आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों के इस्तीफे और नियुक्ति को लेकर आमने-सामने आ गई हैं. इंफोसिस ने अमेरिकी कंपनी कॉग्निजेंट पर अपने कर्मचारियों को तोड़ने का आरोप लगाया है. इंफोसिस ने कहा कि कॉग्निजेंट पर अनैतिक और अवैध तरीके से उसके कर्मचारियों को तोड़ रही है.
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इंफोसिस ने यह आरोप ऐसे समय में लगाया है जब विप्रो ने इसी तरह के आरोप को लेकर अपने दो पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा दायर किया है जो हाल ही में नैस्डैक लिस्टेड कॉग्निजेंट में शामिल हुए थे.
कई अधिकारियों ने ज्वाइन किया कॉग्निजेंट
इस मामले की जानकारी रखने वाले 3 लोगों ने मनीकंट्रोल को बताया कि इंफोसिस ने अपने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के इस्तीफे देने के बाद कॉग्निजेंट ज्वाइन करने पर कंपनी को लिखित संदेश भेजा है.
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दूसरे सूत्र ने कहा कि यह मैसेज कुछ सप्ताह पहले भेजा गया था. इस साल जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद से, कॉग्निजेंट के सीईओ रवि कुमार, जो खुद इंफोसिस में बड़े पद पर रहे, ने बीस से अधिक एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और चार सीनियर वाइस प्रेडिंट को नियुक्त किया है, जिनमें से कई विप्रो और इंफोसिस से हैं. इंफोसिस से कॉग्निजेंट की उल्लेखनीय नियुक्तियों में अनुराग वर्धन सिन्हा, नागेश्वर चेरुकुपल्ली, नरसिम्हा राव मन्नेपल्ली और श्वेता अरोड़ा शामिल हैं.
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इंफोसिस और विप्रो से कई कर्मचारियों के इस्तीफे
विप्रो ने अपने दो पूर्व अधिकारियों- मोहम्मद हक और जतिन दलाल- के खिलाफ अमेरिका और भारत में मुकदमा दायर किया है, जो हाल ही में कॉग्निजेंट में शामिल हुए थे. कॉग्निजेंट के साथ यह गतिरोध ऐसे समय में आया है जब इंफोसिस और विप्रो दोनों सीनियर मैनेजमेंट में से वरिष्ठ अधिकारियों के हटने के साथ-साथ कठिन कारोबारी माहौल से जूझ रहे हैं.
बता दें कि पिछले बारह महीनों में जहां इंफोसिस से 7-8 सीनियर अफसर्स ने कंपनी छोड़ी है. वहीं, विप्रो में इस कैलेंडर ईयर में करीब 10 टॉप लीडर्स बाहर हुए हैं. इनमें से कई अधिकारी बाद में प्रतिद्वंद्वी कंपनियों में शामिल हो गए.