Ghaziabad Story: ये कहानी है एक शहर की जिसके नाम से मुगल शासन की याद आती है. समय के साथ अब इसे बदलने की मांग हो रही है. ‘जिला गाजियाबाद’ नाम से फिल्म भी बनी थी. अब इसका नाम गजप्रस्थ, गजनगर, हरनंदी नगर करने की मांग हो रही है.
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Ghaziabad New Name: वैसे तो गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग काफी पुरानी है लेकिन अब निगर निगम की बोर्ड मीटिंग में इस पर गंभीर चर्चा हुई है. जी हां, पहली बार इस तरह की बात बैठक के एजेंडे में शामिल रही. टेबल पर कई वैकल्पिक नाम भी सुझाए गए. जैसे- गजनगर और हरनंदी नगर. बीजेपी के एक पार्षद ने एनसीआर के इस जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा. इसे एजेंडे में शामिल किया गया और अब माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जा सकता है.
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मेयर सुनीता दयाल ने बताया है कि एक बार बोर्ड इस प्रस्ताव पर सहमति जताता है तो इसे राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा. इसके बाद यह अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास जाएगा. हिंदू संगठन काफी समय से गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं.
1740 में गाजीउद्दीन नगर
इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज हुआ तो NCR के इस डिस्ट्रिक्ट के लिए भी बदलाव की मांग ने जोर पकड़ लिया. शहर के अनेक संगठन समेत विधायक सुनील शर्मा काफी समय से गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं. मुगल शासन में गाजीउद्दीन के नाम पर 1740 में इस शहर की स्थापना की गई थी. नाम पड़ा गाजीउद्दीन नगर.
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गाजियाबाद जिले की सरकारी वेबसाइट पर बताया गया है कि इस जगह की स्थापना 1740 में वज़ीर गाज़ी-उद-दीन ने की थी. तब इसे गाजीउद्दीन नगर कहा जाता था. हालांकि रेलवे लाइन खुलने के बाद इस जगह का नाम छोटा कर गाजियाबाद कर दिया गया.
गाजियाबाद नहीं तो क्या?
हिंदू संगठन मुगल आक्रांताओं का परिचायक बताते हुए शहर का नाम बदलने की बात करते हैं. अब गाजियाबाद नगर निगम में इस बाबत प्रस्ताव पास हो सकता है और महाभारत काल से प्रेरित कोई प्राचीन नाम या हिंडन यानी हरनंदी नदी के नाम पर नामकरण किया जा सकता है. खबर है कि गाजियाबाद का नया नाम गजनगर, हरनंदी नगर, गजप्रस्थ या दूधेश्वर नगर रखने पर विचार हो रहा है.
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- 14 नवंबर 1976 से पहले गाजियाबाद, मेरठ जिले की एक तहसील हुआ करती थी.
- तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. डी. तिवारी ने 14 नवंबर 1976 को पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर गाजियाबाद को जिले के रूप में घोषित किया.
- गाजियाबाद की सीमा दिल्ली से सटी है. इसी वजह से उत्तर प्रदेश के मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में इसे ‘गेटवे ऑफ यूपी’ भी कहा जाता है.