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Disinvestment Target: 51000 करोड़ का लक्ष्य, लेकिन मंजिल काफी दूर, क्या इस बार भी विनिवेश टारगेट से चूक जाएगी मोदी सरकार?

केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के मोर्चे पर झटका लगने वाला है. विनिवेश के जरिये सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 51000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. लेकिन ये आंकड़ा अभी काफी दूर है. क्योंकि अब करीब दो महीने का ही वक्त बचा है. ऐसे में संभव है कि सरकार इस साल भी लक्ष्य से दूर रह जाए.

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दरअसल, पिछले साल यानी बजट- 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने ऐलान किया था कि 51 हजार करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाए जाएंगे. लेकिन भारत सरकार के निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के मुताबिक 23 जनवरी 2024 तक सिर्फ 12,504 करोड़ रुपये ही सरकार जुटा पाई है. जो निर्धारित टारगेट से 25 फीसदी से भी कम है.

टारगेट से काफी दूर सरकार 

इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने विनिवेश के जरिये 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन  35,293 करोड़ रुपये जुटा पाई. 

वहीं मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से होने वाली आय के अनुमान में भारी कटौती करते हुए इसे 1.75 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया था. लेकिन संसोधित 78,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य भी हासिल नहीं हो पाया. सरकार को वित्त वर्ष 2021-22 में विविनेश से कुल 13,534 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.  

उस समय सरकार का कहना था कि लगातार दो वित्त वर्ष में कोरोना संकट की वजह से विनिवेश का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाए. लेकिन सच तो ये है कि इससे पहले भी सरकार कई बार अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने से चूकी है. 

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वित्त वर्ष 2020-21 में 

मोदी सरकार ने वर्ष 2020-21 में विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन सरकार सिर्फ 32,885 करोड़ रुपये ही जुटा पाई थी. 

वित्त वर्ष 2019-20 में 

सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में पहले विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का ऐलान किया था. उसके बाद  संशोधित कर टागरेट 65,000 करोड़ रुपये का रखा गया था. लेकिन वर्ष 2019-20 में विनिवेश प्राप्ति 50,299 करोड़ रुपये रही थी. 

वित्त वर्ष 2018-19 में 

वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार ने 80,000 करोड़ रुपये विनिवेश के जरिए हासिल करने का लक्ष्य रखा था, जबकि सरकार इस लक्ष्य से आगे निकलकर 84,972 करोड़ रुपये हासिल करने में सफल रही.

वित्त वर्ष 2017-18 में 

वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार ने विनिवेश से 1 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा था, जबकि सरकार 

1,00,056 करोड़ रुपये जुटाने में कामयाब रही थी. यानी लक्ष्य से थोड़ा ज्यादा रकम जुटाई थी. 

वित्त वर्ष 2016-17 में 

वित्त-वर्ष 2016-17 में मोदी सरकार ने विनिवेश के जरिये 56,500 करोड़ रुपये का जुटाने लक्ष्य रखा था, लेकिन 46,247 करोड़ रुपये ही हासिल कर सकी थी.

वित्त वर्ष 2015-16 में

साल 2015-16 में सरकार ने विनिवेश से 69,500 करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य बजट में रखा था. सरकार महज 23,997 करोड़ रुपये ही हासिल कर सकी थी.

वित्त वर्ष 2014-15 में 

वित्त वर्ष 2014-15 के लिए सरकार ने 58,425 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा था. सरकार इस मद से 26,068 करोड़ रुपये ही जुटा पाई थी.

पहले भी टागरेट तक नहीं पहुंच पाई थी सरकार 

मोदी सरकार से पहले की सरकारें भी इस मोर्चे पर लगातार विफल रही हैं. 2001 से 2004 के बीच सबसे बड़ी संख्या में विनिवेश हुए. इस दौरान सरकार ने 38,500 करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था. लेकिन सरकार 21,163 करोड़ रुपये ही हासिल करने में सफल रही थी. 

1991-92 से लेकर 2000-01 तक के लिए सरकार ने 54,300 करोड़ रुपये विनिवेश के जरिए जुटाने का लक्ष्य रखा था, इसके उलट सरकार इससे आधी से भी कम यानी 20,078.62 करोड़ रुपये ही जुटा सकी थी.

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वित्त वर्ष 2014-15 में 

वित्त वर्ष 2014-15 के लिए सरकार ने 43,425 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा था. सरकार इस मद से 24,349 करोड़ रुपये ही जुटा पाई थी.

वित्त वर्ष 2013-14 में 

वित्त वर्ष 2013-14 में विनिवेश के जरिये करीब 40,000 करोड़ रुपये जुटाने का प्लान था, लेकिन 15,819 करोड़ रुपये ही जुटा पाई.

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