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आयुर्वेद और होम्‍योपैथी इलाज का भी होगा बीमा! इरडा ने उठाया बड़ा कदम, आम आदमी को कब से मिलेगा फायदा?

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Health Insurance : हेल्‍थ इंश्‍योरेंस खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर है. बीमा नियामक इरडा ने सभी जनरल इंश्‍योरेंस कंपनियों से कहा है कि वे अपनी पॉलिसी में आयुष इलाज को भी शामिल करें. इसमें होम्‍योपैथी, योग और आयुर्वेद जैसी पद्धति शामिल होती है.

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नई दिल्‍ली. बीमा सेक्‍टर में बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है. इंश्‍योरेंस रेगुलेटर इरडा (IRDAI) ने सभी बीमा कंपनियों से पूछा है कि पॉलिसी में आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा और होम्‍योपैथी (AYUSH) जैसे इलाज को भी शामिल करें. इससे बीमा पॉलिसी की पॉपुलै‍रिटी बढ़ेगी और ज्‍यादा लोगों को इसका फायदा मिल सकेगा.

इरडा ने कहा है कि जनरल इंश्‍योरेंस कंपनियों को अपनी पॉलिसी में आयुष इलाज को भी शामिल करना चाहिए. इसके लिए कंपनियां अपने बोर्ड से अप्रूवल लेकर बाकायदा गाइडलाइन पेश करेंगी. बीमा नियामक ने कहा है कि सभी जनरल इश्‍योरेंस कंपनियों को 1 अप्रैल, 2024 तक गाइडलाइन तैयार कर लेनी होगी और यह नए वित्‍तवर्ष से प्रभावी भी हो जाएगी.

कंपनियों से क्‍या बोला इरडा
बीमा नियामक ने कहा है कि गाइडलाइन में कंपनियों को क्‍वालिटी और स्‍टैंडर्ड पर जोर देना चाहिए. साथ ही आयुष अस्‍पतालों में कैशलेस इलाज की व्‍यवस्‍था करनी चाहिए. बीते कुछ साल में आयुष इलाज काफी लोकप्रिय हो गया है.

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लिहाजा बीमा कंपनियों को आयुष इलाज को भी अन्‍य तरीके के इलाज की तरह ही लेना चाहिए.

प्रोडक्‍ट में बदलाव करें कंपनियां
इरडा ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे अपने प्रोडक्‍ट में बदलाव करके इसे आम लोगों के लिए दोबारा जारी करें. जिन बीमा पॉलिसीज में आयुष इलाज को लेकर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उसे हटाकर इस तरह के इलाज पर भी क्‍लेम देना स्‍वीकार करें. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही जनरल इंश्‍योरेंस काउंसिल ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे उन अस्‍पतालों में भी कैशलेस इलाज की सुविधा दें, जो उनकी लिस्‍ट में शामिल नहीं होते हैं. मौजूदा पॉलिसीज को भी रिवाइज गाइडलाइन के तहत दोबारा जारी करें.

हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रहा बदलाव
बीमा नियामक ने कहा है कि कंपनियों को आयुष मंत्रालय की ओर से नियुक्‍त किए गए एक्‍सपर्ट से बात करने के बाद अपनी गाइडलाइन और पॉलिसीज में जरूरी बदलाव करने चाहिए, ताकि इसमें आयुष कवरेज को भी शामिल किया जा सके.

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इससे पहले दिसंबर, 2023 में मद्रास हाईकोर्ट ने इरडा से कहा था कि बीमा कंपनियां अपनी पॉलिसी में आयुष इलाज को भी शामिल करें और इसके खर्च को वापस लौटाएं.

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