नई दिल्ली: किसान और सरकार के बीच देर रात तक चली बैठक बेनतीजा रही है। इसके बाद आज यानी मंगलवार को भारी संख्या में किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। किसानों की भारी भीड़ को देखते हुए दिल्ली से सटे बॉर्डरों को सील कर दिया गया है।
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किसान संगठनों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर आज ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च का आह्वान किया गया है। काफिले को देखते हुए दिल्ली हरियाणा पुलिस दोनों मुस्तैद हैं। पंजाब से दिल्ली की ओर आ रहे किसानों की वजह से सड़कों पर भारी जाम लग रहा है। अब इसका असर माल ढुलाई पर पड़ने लगा है। पंजाब और दिल्ली के रास्ते में सैकड़ों ट्रक फंस गए हैं। किसानों के सड़क पर उतरने से अब हर दिन करोड़ों रुपयों का करोबार प्रभावित हो सकता है। नेशनल हाईवे सहित अन्य रास्तों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
बढ़ जाएगा मालभाड़ा
किसानों के आंदोलन के चलते दिल्ली में रूट डायवर्ट है। इससे वाहनों को अब ज्यादा लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। मालभाड़े का खर्च प्रति किलोमीटर के हिसाब से तय होता है। ऐसे में जब वाहनों को ज्यादा लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा तो इसका सीधा असर मालभाड़े पर पड़ना तय है। इससे मालभाड़े की लागत बढ़ जाएगी। वहीं माल की आपूर्ति करने में भी अब ज्यादा समय लगेगा और इसकी भी लागत बढ़ जाएगी।
रास्ते में फंसे हजारों ट्रक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि किसानों के इस आंदोलन की वजह से अभी करीब 10 हजार ट्रक रास्तों में फंस गए हैं। इनमें से करीब 6 से 7 हजार ट्रक ऐसे हैं जिन्हें दिल्ली में सामान की सप्लाई करनी है। इस समय जरूरी सामानों की सप्लाई करने वाले वाहनों को छोड़कर बाकी वाहनों को रोका जा रहा है। ट्रांसपोर्ट कंपनियां सामान की सप्लाई करने के लिए एक फिक्स रेट पर फैक्ट्रियों और उत्पादकों के साथ कांट्रैक्ट करती हैं।
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अब समय से सप्लाई नहीं पहुंचने पर ट्रांसपोर्ट कंपनियों को पेनल्टी का डर भी सताने लगा है।
करोड़ों का होगा नुकसान
दिल्ली से काफी सामान की सप्लाई पंजाब से लेकर हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर तक होती है। कारोबारी अपना सामान दूसरे राज्यों में भेजते हैं। किसान आंदोलन के चलते अब इन सामानों की सप्लाई भी नहीं हो पाएगी। दिल्ली में भी पंजाब के रास्ते काफी सामान आता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब किसानों के सड़कों पर आने से हर दिन करोड़ों का नुकसान होना तय है। एक अनुमान के मुताबिक, हर दिन करीब 500 से 600 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। पंजाब से लकड़ी, हार्डवेयर का सामान, स्पेयर पार्ट, ऑटो पार्ट, कपड़े, खेल का सामान, सूखे मेवे, फल-सब्जी आदि कई सामान आते हैं।
फल-सब्जियों की कीमत पर पड़ेगा असर
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब आदि कई राज्यों से दिल्ली में सामान की सप्लाई होती है। इसमें फल और सब्जी की सप्लाई खूब होती है। किसानों के आंदोलन की वजह से सब्जियों और फल आदि की सप्लाई दिल्ली पहुंचने में समय लगेगा। ट्रकों को अब काफी घूमकर दिल्ली आना पड़ रहा है। इसकी वजह से ट्रांसपोर्टर अब मालभाड़ा बढ़ाने की सोच रहे हैं। ऐसे में इसका असर सामान की कीमतों पर पड़ेगा। सामान की कीमत बढ़ सकती है।
माल की आवाजाही बाधित नहीं हो
कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से दिल्ली में माल की आवाजाही निर्बाध रूप से चलाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि किसान आंदोलन के कारण दिल्ली में आने वाले अथवा दिल्ली से बाहर जाने वाले माल की आवाजाही में कोई व्यवधान न आए। इसके लिए सरकार आवश्यक व्यवस्था करे तथा किसान की भी ज़िम्मेदारी है कि वो भी इस बात को सुनिश्चित करें।
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उनका कहना है कि दिल्ली न तो कृषि राज्य है एवं न ही औद्योगिक राज्य। दिल्ली देश का सबसे बड़ा व्यापारिक वितरण केंद्र है जहां देश के विभिन्न राज्यों से माल आता है और दिल्ली से देश के समस्त राज्यों में माल जाता है। अगर सप्लाई चेन में किसी भी प्रकार का व्यवधान आता है तो उसका विपरीत असर दिल्ली और पडोसी राज्यों के व्यापार पर पड़ेगा।