Delhi Kisan Andolan News: पंजाब के किसानों ने मंगलवार को 10 बजे दिल्ली कूच किया, जहां हरियाणा के शंभू और जींद बॉर्डर पर जमकर संग्राम देखने को मिला. प्रदर्शनकारी किसान और हरियाणा पुलिस के बीच कई बार अलग-अलग सीमाओं पर झड़प देखने को मिली. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ये किसान किन मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं.
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर किसानों और केंद्र के बीच टकराव की वजह से जंग का मैदान बनने को तैयार है. किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों संग बैठक बेनतीजा रहने के बाद किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च का ऐलान कर दिया है. पंजाब के किसान दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं और हरियाणा बॉर्डर पर पुलिस के साथ लगातार भिड़ रहे हैं. पिछली बार जहां किसान कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार के खिलाफ हल्लाबोल रहे थे, तो इस बार किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी और कर्जमाफी के मुद्दे समेत कई मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैं. पंजाब के किसानों ने मंगलवार को 10 बजे दिल्ली कूच किया, जहां हरियाणा के शंभू और जींद बॉर्डर पर जमकर संग्राम देखने को मिला. प्रदर्शनकारी किसान और हरियाणा पुलिस के बीच कई बार अलग-अलग सीमाओं पर झड़प देखने को मिली. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ये किसान किन मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें– Kisan आंदोलन के बीच Rahul Gandhi का बड़ा ऐलान, ‘INDIA’ की बनी सरकार तो MSP की गारंटी और… | VIDEO
क्या-क्या हैं किसानों की मांगें:
1. फसलों की एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी.
2. स्वामीनामथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो.
3. किसानों के कर्ज माफ हों.
4. भूमि अधिग्रहण 2023 दोबारा लागू किया जाए.
5. लखीमपुर खीरी केस के दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो.
6. मुक्त व्यापार समझौते पर रोक हो.
7. संविधान 5 की सूची को लागू कर आदिवासियों का जमीन की लूट बंद हो.
8. मिर्ची-हल्दी समेत मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन हो.
9. नकली बीज और कीटनाशक बेचने वाली कंपनियों पर एक्शन के लिए बने कानून.
10. मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम मिले और 700 रुपए मजदूरी दी जाए.
11. विद्युद संशोधन विधेयक 2020 को रद्द कर दिया जाए.
12. किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले हो वापस.
ये भी पढ़ें– पीएम मोदी अबू धाबी में जिस मंदिर का उद्घाटन करेंगे वो कितने में बना है? जानकर उड़ जाएंगे होश
किन-किन मसलों पर बनी सहमति
-केंद्र सरकार ने 2020-21 के पिछले किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर सहमति जताई है.
-केंद्र सरकार ने 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने पर सहमति जताई है.
दरअसल, सोमवार को केंद्रीय मंत्रियों संग किसान नेताओं की बैठक हुई थी, मगर कुछ मसलों पर केंद्र सरकार ने अपनी सहमति जता दी थी और कुछ मसलों के समधाना के लिए एक समिति का सुझाव दिया था. मगर किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. यही वजह है कि किसान लगातार अब दिल्ली की ओर आगे बढ़ रहे हैं. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल के साथ इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है और सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि शेष मुद्दों को एक समिति के गठन के माध्यम से सुलझाया जाए. हालांकि, किसान नेता समिति के माध्यम से इसके समधान के पक्ष में नहीं है. वे सरकार से सीधे अपनी मांगों पर सहमति चाहते हैं.
ये भी पढ़ें– दिल्ली की सड़कों पर फिर क्यों उतर रहे किसान, पिछले आंदोलन से कैसे है अलग, अब क्या हैं मांगें?
दिल्ली में आंदोलन को लेकर कैसी है तैयारी
इस बीच दिल्ली पुलिस ने किसानों के मार्च के कारण व्यापक पैमाने पर तनाव और ‘सामाजिक अशांति’ पैदा होने की आशंका के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में एक महीने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है. दिल्ली में वाहनों को प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर कंक्रीट के अवरोधक और सड़क पर बिछाए जाने वाले लोहे के नुकीले अवरोधक लगाकर किलेबंदी कर दी गयी है. इन उपायों से मंगलवार को सुबह दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में यातायात की आवाजाही पर असर पड़ा जिससे यात्रियों को असुविधा हुई.
हरियाणा में भी पुलिस अलर्ट
वहीं, हरियाणा के अधिकारियों ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोकने के लिए अंबाला, जींद, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में कई स्थानों पर पंजाब के साथ लगती राज्य की सीमा पर कंक्रीट के अवरोधक और लोहे की कील और कंटीले तार लगाकर किलेबंदी कर दी है. हरियाणा सरकार ने भी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत 15 जिलों में प्रतिबंध लगा दिए हैं. इन जिलों में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी गई है और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन करने या ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ मार्च निकालने पर प्रतिबंध है.