नई दिल्ली: सोने की कीमत तेजी जारी है। सोमवार को यह फिर नए शिखर पर पहुंच गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर पहली बार सोने की कीमत 71,000 रुपये के पार निकल गई। शुरुआती कारोबार में यह करीब 400 रुपये की तेजी के साथ 71057 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया।
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विदेशी बाजार में भी सोना रेकॉर्ड स्तर पर कारोबार कर रहा है। सवाल यह है कि आखिर सोने की कीमत में इतनी तेजी की वजह क्या है? इसकी एक वजह यह है कि कई देशों के सेंट्रल बैंक अपने रिजर्व में सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं। इसमें आरबीआई और चीन का सेंट्रल बैंक भी है।
चीन के सेंट्रल बैंक में फरवरी में 12 टन सोना खरीदा और मार्च में भी यह सिलसिला जारी रहा। चीन के पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना लगातार 17 महीने से सोने की खरीदारी कर रहा है। जानकारों का कहना है कि सोने की कीमत में रेकॉर्ड तेजी के पीछे यह भी एक बड़ी वजह है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के सेंट्रल बैंक के पास गोल्ड रिजर्व मार्च में बढ़कर 72.74 मिलियन ट्रॉस औंस पहुंच गया है। चीन का विदेशी मुद्रा भंडार नवंबर 2015 के बाद रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। मार्च के अंत में यह 3.2457 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया। फरवरी की तुलना में इसमें 0.6 फीसदी और एक साल पहले की तुलना में 1.9 फीसदी तेजी आई है।
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दुनियाभर के सेंट्रल बैंक 2022 से अपने भंडार में सोने की मात्रा बढ़ाने में लगे हैं। 2022 में इन बैंकों ने पहली बार 1000 टन से अधिक सोना खरीदा था और फिर 2023 में भी करीब इतनी ही खरीदारी की थी। अभी केंद्रीय बैंकों के रिजर्व में 20% से अधिक सोना है।
आखिर सोना क्यों खरीद रहे बैंक
जानकारों का कहना है कि डॉलर की गिरती परचेजिंग पावर से बचने के लिए सोना सबसे बेहतर है। पिछले 110 साल से ऐसा होता आया है और आगे भी होता रहेगा। जब करेंसी और इकॉनमी को खतरा होता है तो भी सेंट्रल बैंक बड़े पैमाने पर सोना खरीदते हैं।
अमेरिका, चीन और यूरोप के कई देशों में मंदी की आशंका बनी हुई है। खासकर चीन आर्थिक मोर्चे पर कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहा है। वैसे गोल्ड रिजर्व के मामले में अमेरिका पहले नंबर पर है।
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उसके खजाने में करीब 8,133 टन सोना है। इसके बाद जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस, चीन, स्विट्जरलैंड और भारत का नंबर है। आरबीआई ने इस साल करीब 13 टन सोना खरीदा है और उसके पास 817 टन गोल्ड रिजर्व है।