Electricity Demand In India: भीषण गर्मी की वजह से देश में इस समय बिजली की मांग इस मौसम के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. बुधवार के बिजली की कुल मांग 235 गीगा वाट थी.
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Electricity Demand: देश के ज्यादातर हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ने से बिजली की अधिकतम मांग बुधवार को 235.06 गीगावाट पर पहुंच गयी. यह इस मौसम की अबतक की सबसे अधिक मांग है.
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, बिजली की मांग बढ़ने का प्रमुख कारण गर्मी का अधिक पड़ना है. पारा चढ़ने के साथ एयर कंडीशनर/ कूलर का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिससे बिजली की खपत में भी वृद्धि हुई है.
बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बिजली की अधिकतम मांग या दिन में सबसे अधिक आपूर्ति बुधवार को 235.06 गीगावाट दर्ज की गई. यह इस साल गर्मी के मौसम में अबतक की सबसे अधिक मांग है.
इससे पहले, बिजली की अधिकतम मांग सितंबर, 2023 में 243.27 गीगावाट के उच्चतम स्तर पर रही थी. अधिक गर्मी पड़ने और कुछ क्षेत्रों में लू चलने के कारण इस मौसम में रिकॉर्ड टूटने का अनुमान है.
बिजली मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में मई के लिए दिन के समय बिजली की अधिकतम मांग 235 गीगावाट और शाम के समय 225 गीगावाट तथा जून के लिए दिन के दौरान 240 गीगावाट और शाम के समय 235 गीगावाट रहने के अनुमान जताया था.
इसके अलावा बिजली मंत्रालय ने यह भी अनुमान लगाया है कि इस गर्मी में बिजली की अधिकतम मांग 260 गीगावाट तक पहुंच सकती है.
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आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल, 2024 में अधिकतम बिजली की मांग 224.18 गीगावाट थी. उस समय देश के विभिन्न भागों में गर्मी की शुरुआत थी. मार्च में यह 221.82 गीगावाट, फरवरी में 222.16 गीगावाट और जनवरी में 223.51 गीगावाट थी.
इस महीने अधिकतम आपूर्ति छह मई को 233 गीगावाट और 21 मई को 233.80 गीगावाट तक पहुंच गई. मई, 2023 में यह 221.42 गीगावाट रही थी.
पिछले सप्ताह, 18 मई को बिजली की अधिकतम आपूर्ति 229.57 गीगावाट तक पहुंच गई, जबकि 15, 16 और 17 मई को यह लगभग 226 गीगावाट थी.
विशेषज्ञों का मानना है कि बिजली की मांग और बढ़ सकती है तथा यह सितंबर, 2023 में दर्ज 243.27 गीगावाट के अबतक के उच्चतम स्तर को पार कर सकती है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस साल मार्च में अनुमान लगाया था कि देश में इस साल अधिक गर्मी और लू वाले दिन अधिक होंगे. अल नीनो की स्थिति कम-से-कम मई तक जारी रहने का अनुमान जताया गया है.
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इसमें कहा गया है कि मार्च से मई तक पूर्वोत्तर भारत, पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र, दक्षिण पश्चिम प्रायद्वीप और पश्चिमी तट को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में लू के दिनों की संख्या सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है.
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