क्या आपने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) में निवेश किया है? अगर हां, तो भारतीय रिजर्व बैंक आपके लिए एक अच्छी खबर लाया है. आरबीआई ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) 2017-18 सीरीज IV और 2018-19 सीरीज II के लिए समय पूर्व निकासी की छूट दे दी है.
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आरबीआई ने प्रीमैच्योर रिडेम्पशन के लिए रेट 7,325 रुपये प्रति यूनिट तय की है. एसजीबी के लिए रिडेम्पशन प्राइस का कैलकुलेशन इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) द्वारा प्रकाशित 999 शुद्धता वाले सोने के बंद भाव के औसत पर आधारित होता है.
जाने आरबीआई ने क्या कहा?
23 अप्रैल से शुरू होने वाले बॉन्ड के प्रीमैच्योर रिडेम्पशन के लिए मूल्य 18, 19 और 22 अप्रैल के लिए सोने की कीमतों के साधारण औसत के आधार पर एसजीबी की प्रति यूनिट 7325 रुपया तय किया गया है. बैंक नियामक ने 16 अप्रैल को एसजीबी 2017-18 सीरीज III के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्पशन प्राइस भी तय किया. आरबीआई ने 23 अप्रैल को एक विज्ञप्ति में कहा कि एसजीबी के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्पशन प्राइस 7260 रुपये प्रति यूनिट तय किया गया है, जिसकी गणना पिछले तीन कारोबारी दिनों में सोने की कीमतों के औसत के आधार पर की गई है.
एसजीबी योजना क्या है और आप इसमें कितना निवेश कर सकते हैं?
अगर आप फिजिकल रूप से सोने नहीं खरीदना चाहते हैं तो आप एसजीबी में निवेश कर सकते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 के तहत एसजीबी योजना शुरू की थी. इस योजना में कोई व्यक्ति, ट्रस्ट, धर्मार्थ संस्थान आदि निवेश कर सकते हैं. एसजीबी के लिए न्यूनतम सदस्यता एक ग्राम है. एक व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 20 किलोग्राम गोल्ड बांड खरीद सकता है. एसजीबी को बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), नामित डाकघरों (जैसा कि अधिसूचित किया जा सकता है) और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे वित्तीय संस्थानों के माध्यम से सीधे या एजेंटों के माध्यम से बेचा जाता है.
एसजीबी: टैक्सेशन
एसजीबी की अवधि आठ साल की होती है. इसमें ब्याज के भुगतान की तिथि पर पांचवें वर्ष के बाद जल्दी भुनाने का विकल्प होता है. अगर एसजीबी को 5 साल की लॉक-इन अवधि के बाद लेकिन 8 साल के मैच्योरिटी टेन्योर से पहले भुनाया जाता है, तो लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% टैक्स लगाया जाएगा. एसजीबी पर अर्जित ब्याज अन्य स्रोतों से आय के रूप में टैक्सेबल है, जबकि टीडीएस बांड पर लागू नहीं होता है. एसजीबी पर ब्याज आयकर अधिनियम 1961 (1961 का 43) के प्रावधानों के तहत टैक्सेबल है.
एसजीबी: रिटर्न
एसजीबी में रिटर्न बाजार से जुड़ा हुआ है. आपको कितना रिटर्न मिलता है कि यह आठ साल के बाद मैच्योरिटी पर प्रचलित सोने की कीमतों पर निर्भर करेगा. इसी लिए जानकर निवेशकों को अपने टोटल एसेट एलोकेशन को ध्यान में रखते हुए एसजीबी खरीदने की सलाह देते हैं.
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सरकार ने निवेश पर 2.5 फीसदी सालाना ब्याज तय किया है, जिसमें ब्याज में कोई कंपाउंडिंग नहीं होगी. ब्याज का भुगतान छमाही आधार पर किया जाएगा और अंतिम ब्याज आपको आपके मूलधन पर मैच्योरिटी के बाद मिलेगा.