नई दिल्लीः 12 घंटो में देश की राजधानी को देश के आर्थिक राजधानी से एक्सप्रेस वे के जरिये जोड़नेवाले दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के काम का जायज़ा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लिया. साल 2019 में शुरू हुए दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे मोदी सरकार की बड़ी महत्वकांसी योजनाओं में से एक है. 1380 किमी लंबे एक्सप्रेस वे का 1200 किमी के काम टेंडर हो चुका है और 375 किमी की सड़क बनकर तैयार है. बने पर ये देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा.
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे बन जाने से सिर्फ 12 घंटो में दिल्ली से मुंबई पहुंचा जा सकेगा. साथ ही इसे 130 किलोमीटर दिल्ली से मुंबई की दूरी कम हो जाएगी. सड़क परिवहन मंत्रालय के इस एक्सप्रेस वे के बने से ना सिर्फ वक़्त और दूरी कम होगी बल्कि 32 करोड़ लीटर फ्यूल की बचत होगी साथ ही 850 करोड़ Kg CO2 emission कम होगा. इतने CO2 को सोखने के लिए 4 करोड़ पेड़ की ज़रूरत होती है.
8 लेन के इस एक्सप्रेस वे का काम काफी तेजी से चल रहा है. इस एक्सप्रेस वे के दो सेक्शन दिल्ली – दौसा – लालसोट जो 214 किमी का है और 100 किमी का वडोदरा – अंकलेश्वर सेक्शन मार्च 2022 में तैयार हो जाएगा और लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. वहीं नवंबर 2022 में 250 किमी लंबा कोटा – रतलाम – झाबुआ सेक्शन भी पूरा हो जाएगा. इसके निर्माण में 12 लाख टन स्टील का और करीब 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल होगा.
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे की कुछ खास बातें
-1,380 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे बनना है, इस प्रोजेक्ट की लागत 98 हजार करोड़ का है. इसमें 20,589 करोड़ रुपये की भूमि अधिग्रहण लागत शामिल है
– अब तक 375 किमी पर काम हो चुका है.
-इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद दिल्ली मुंबई की दूरी कम हो जाएगी. दिल्ली से मुंबई सिर्फ 12 घंटो में पहुंचा जा सकेगा, जिसमें अभी 24 घंटे का वक़्त लगता है. इसे 130 किलोमीटर दिल्ली से मुंबई की दूरी कम हो जाएगी.
-ये एक्सप्रेसवे देश के छह राज्यों से गुजरेगा. जिसमे दिल्ली ,हरियाणा ,राजस्थान ,मध्यप्रदेश ,गुजरात और महाराष्ट्र शामिल है.
– इस एक्सप्रेसवे की वजह से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, सूरत जैसे शहरों तक जाना आना आसान होगा.
-ये प्रोजेक्ट 2019 को शुरू हुआ और मार्च 2023 में पूरा हो जाएगा.
– दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे बन जाने से दूसरे राजमार्गों के दबाव को कम होगा
– इसके बन जाने से सालाना 32 करोड़ लीटर फ्यूल की बचत होगी.
– हर साल 850 मिलियन केजी CO2 emission कम होगा. इतने CO2 को सोखने के लिए 4 करोड़ पेड़ की ज़रूरत होती है
– वन्यक्षेत्रों और वन्यजीवन को ध्यान में रखते हुए 3 एनिमल और 5 ओवरपास बनाए जाएंगे.
– 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल और 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल होगा.
-दिल्ली में गाड़ियों से होने वाला प्रदुषण कम होगा
-बस और ट्रक जैसे वाहन तेज रफ्तार से दौड़ेंगे और कम समय मे दूरी तय कर पाएंगे.
-एक्सप्रेसवे पर टोल के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन यानी RFID तकनीक से लिया जाएगा.
-50 लाख दिन का रोजगार सृजन है
– एक्सप्रेस के किनारे 20 लाख पेड़ लगेंगे, जिससे पर्यावरण को फायदा होगा, इसे हवा की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी.
– 40 मेजर इंटर चेंज बनाये जाएंगे
– लोगों की सुविधा के लिए कई जगहों पर 94 वे साइड एमेनिटीज बनाई जाएंगी.