Collective Leadership Under PM Modi: बीजेपी 4 राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में कोई मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं कर रही है. चुनावी मंत्र ‘पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी के चुनाव चिह्न कमल के नेतृत्व में सामूहिक नेतृत्व’ का है. तो क्या भाजपा ने आगामी चुनावों में इन राज्यों में नेतृत्व को लेकर कोई बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है? साफ है कि जब सीएम चेहरे की बात आती है तो बीजेपी अपने सभी अंडे एक टोकरी में नहीं रखना चाहती है. इसका एक साफ कारण सत्ता विरोधी लहर या बीजेपी के स्थापित चेहरों के लिए वोटरों की उदासीनता है.
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नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चार प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अपना चुनाव अभियान जल्दी शुरू कर दिया है. अब तक एक बात साफ है कि भाजपा इनमें से किसी भी राज्य में कोई मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं कर रही है. चुनावी मंत्र ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और पार्टी के चुनाव चिह्न कमल के नेतृत्व में सामूहिक नेतृत्व’ का है. पहली नजर में पार्टी के सबसे प्रमुख चेहरों में से तीन को प्रोजेक्ट नहीं करना एक साहसिक कदम लगता है. शिवराज सिंह चौहान चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. वह अभी भी 50 फीसदी से अधिक ओबीसी आबादी वाले राज्य में पार्टी का सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा हैं.
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इसी तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया ने अशोक गहलोत को हराकर बीजेपी को दो बार सत्ता में पहुंचाया है. रमन सिंह 2018 तक लगातार तीन बार छत्तीसगढ़ के सीएम के रूप में सत्ता में थे. तो क्या भाजपा ने आगामी चुनावों में इन राज्यों में नेतृत्व को लेकर कोई बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है? साफ है कि जब सीएम चेहरे की बात आती है तो बीजेपी अपने सभी अंडे एक टोकरी में नहीं रखना चाहती है. इसका एक साफ कारण सत्ता विरोधी लहर या बीजेपी के स्थापित चेहरों के लिए वोटरों की उदासीनता है. शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में 17 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं.
एमपी में शिवराज के सामने कड़ी चुनौती
पिछले चुनावों में कांग्रेस सत्ता में आई थी. इसके बाद चौहान ने 15 महीने के भीतर ही मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की थी, जिसका श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया के ‘महल तख्तापलट’ को जाता है. अब केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी राज्य की राजनीति में फिर से प्रवेश कर चुके हैं. उन्हें चौहान से वरिष्ठ माना जाता है. बहरहाल तोमर ने कहा है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी का कोई सीएम चेहरा नहीं है. राजस्थान में पिछला चुनाव जनादेश अनिवार्य रूप से राजे के खिलाफ था. जब राज्य की सभी 25 लोकसभा सीटें भाजपा को देने से पहले नवंबर 2018 में लोगों ने उनकी सरकार के खिलाफ वोट दिया था.
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बीजेपी में नई लीडरशिप को बढ़ावा
‘मोदी तुझसे वैर नहीं, रानी तेरी खैर नहीं’ का नारा 2018 के राजस्थान चुनावों में खूब सुना गया था. तब से भाजपा ने राजस्थान में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजसमंद सांसद दीया कुमारी के रूप में नई लीडरशिप को आगे बढ़ाया है. ये दोनों ही वसुंधरा राजे के विरोधी हैं. इसी तरह छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ने लगातार तीन चुनाव जीते, लेकिन पिछले चुनाव में पार्टी को कांग्रेस के हाथों 10 फीसदी से अधिक वोटों के अंतर से चौंकाने वाली हार का सामना करना पड़ा. रमन सिंह को भी सीएम प्रोजेक्ट नहीं किया गया है. हालांकि छत्तीसगढ़ में पार्टी में सिंह की स्थिति के लिए ज्यादा प्रतिस्पर्धा नहीं है और वह पार्टी की रैलियों में केंद्र-स्थान पर बने हुए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बिलासपुर में अपनी रैली में भी सिंह का जिक्र किया, जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपनी आखिरी रैलियों में उन्होंने चौहान या राजे का जिक्र नहीं किया.