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FPI का भारतीय बाजारों में निवेश जारी सितंबर के दौरान अब तक 7,605 करोड़ रुपये का हुआ निवेश

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नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय बाजारों में खरीदारी जारी रखते हुए, Foreign Portfolio Investors (FPIs) ने सितंबर में अब तक 7,605 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। डिपॉजिटरीज के आंकड़ों के मुताबिक 1 से 9 सितंबर के दौरान विदेशी निवेशकों ने शेयर में 4,385 करोड़ रुपये और डेट सेगमेंट में 3,220 करोड़ रुपये का निवेश किया।

इस दौरान कुल शुद्ध निवेश 7,605 करोड़ रुपये रहा। सितंबर में एफपीआई फंडिंग अगस्त में 16,459 करोड़ रुपये की खरीदारी के बाद आई, जिसमें बॉन्ड बाजार में रिकॉर्ड 14,376.2 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।

मॉर्निंगस्टार इंडिया के रिसर्च एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने डेट सेगमेंट में विदेशी पैसे की लगातार बढ़ोत्तरी के बारे में कहा कि ,”भारतीय मुद्रा में स्थिरता और अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते बॉन्ड स्प्रेड ने भारतीय कर्ज को बेहतर जोखिम पर रखा है, जिस वजह से निवेशक आकर्षित हुए होंगे और अचानक और हाई इनफ्लो हुआ होगा। हालांकि हाल के दिनों में भारतीय शेयर बाजार में निवेश अस्थिर रहा है।”

इसके अलावा हिमांशु श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि, “पिछले हफ्ते ‘जैक्सन-होल’ कार्यक्रम में यूएस फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने अपने संबोधन में यह कहा कि फिलहाल सेंट्रल बैंक रेट को बढ़ाने की जल्दी में नहीं है और हम वेट एंड वॉच की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उनके इस इस बयान से निवेशकों की तरफ से काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली और इसने उनके रिस्क असेट में निवेश की भावना को भी बढ़ाया है।”

हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार “एफपीआई ने मिसिंग आउट होने के बजाय भारतीय शेयर बाजारों में चल रही तेजी का हिस्सा बनना चुना होगा। हालांकि, इस सप्ताह परिदृश्य थोड़ा अलग था। क्यूई (क्वांटिटेटिव इसिंग) को कम करने के लिए टाइमलाइन के आसपास अनिश्चितता ने उन्हें ओवरबोर्ड जाने या भारतीय शेयर में पर्याप्त निवेश लाने से रोक दिया होगा।”

सिक्योरिटीज के इक्विटी तकनीकी अनुसंधान के कार्यकारी उपाध्यक्ष श्रीकांत चौहान ने कहा कि, “आने वाले समय में साल 2021 में सितंबर से दिसंबर के दौरान एफपीआई प्रवाह अस्थिर रहने की उम्मीद है, क्योंकि वैश्विक निवेश चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। निवेशक विकसित अर्थव्यवस्थाओं में विकास को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। नतीजतन, उनसे डाइवर्सिफिकेशन के लिए उभरते बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद की जाती है और विकास के अवसरों को देखते हुए वैश्विक निवेशकों द्वारा भारत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।”

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