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धर्म

Akshat Navami 2021 Date: इस दिन मनाई जाएगी आंवला नवमी, यहां जानें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Akshat Navami 2021 Date: इस खास दिन आवंले के पेड़ की पूजा की जाती है.

Akshat Navami 2021 Date: कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी (Kab Hai Akshat Navami 2021) कहलाती है. यों सारे कार्तिक मास में स्नान का माहात्म्य है, परंतु नवमी को स्नान करने से अक्षय पुण्य होता है, ऐसा हिंदुओं का विश्वास है. इस दिन अनेक लोग व्रत भी करते हैं और कथा वार्ता में दिन बिताते हैं. इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस खास दिन आवंले के पेड़ की पूजा की जाती है. आपको बता दें कि स्वस्थ रहने की कामना के साथ आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है. इस साल अक्षत नवमी का त्योहार 12 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा.

अक्षय नवमी 2021 मुहूर्त (Akshat Navami 2021 Shubh Muhurat)

अक्षय नवमी शुक्रवार, नवम्बर 12, 2021 को
अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय – 06:41 ए एम से 12:05 पी एम
अवधि – 05 घण्टे 24 मिनट्स
नवमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 12, 2021 को 05:51 ए एम बजे
नवमी तिथि समाप्त – नवम्बर 13, 2021 को 05:31 ए एम बजे

आंवला नवमी की पूजा विधि (Akshat Navami Puja Vidhi)

अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है. वृक्ष की हल्दी कुमकुम आदि से पूजा करके उसमें जल और कच्चा दूध अर्पित करें. इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करते हुए तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटी जाती है. पूजा के बाद इसकी कथा पढ़ी और सुनी जाती है. पूजा खत्म होने के बाद परिवार और मित्रों आदि के साथ वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किए जाने का महत्व है.

अक्षत नवमी कथा (Akshat Navami Katha)

एक बार एक सेठ ब्राह्माणों को आदर सतकार इस दिन देता था, तो उसके पुत्रों को ये सब अच्छा नहीं लगता था, इसके लिए वह पिता से झगड़ा भी किया करते थे.

ऐसे में घर में होने वाली इस लड़ाई से परेशान होकर सेठ ने एक बार घर छोड़ दिया और दूसरे गांव में जाकर रहने लगा.उसने वहां जीवनयापन के लिए एक दुकान लगा ली. यहां उसने दुकान के आगे आंवले का एक पेड़ लगाया. भगवान की कृपा हुई और उसकी दुकान खूब चलने लगी.

खास बात ये थी परिवार से दूर होने पर भी वह यहां भी आंवला नवमी का व्रत-पूजा करने लगा तथा ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देने लगा. दूसरी तरफ पुत्रों का व्यापार पूरी तरह से ठप्प हो गया है, और उनको अपनी गलती का अहसास हुआ. उनकी समझ में यह बात आ गई कि हम पिताश्री के भाग्य से ही खाते थे. इसके बार बेटे अपने पिता के पास गए और अपनी गलती की माफी मांगने लगे. फिर पिता की आज्ञानुसार उन्होंने भी आंवला के पेड़ की पूजा की इसके प्रभाव से उनके घर में भी पहले जैसी खुशहाली आ गई.

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