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धर्म

Shani Pradosh Vrat: शनि प्रदोष के दिन करें भगवान शिव और शनि देव के इन मंत्रों का जाप

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शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिवजी समेत शनिदेव की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। इस वर्ष का पहला प्रदोष व्रत शनिवार 15 जनवरी को है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिवजी और माता पार्वती की पूजा-आराधना की जाती है।

Shani Pradosh Vrat: शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा-उपासना करता है। उसके जीवन में व्याप्त काल, कष्ट, दुःख और दरिद्रता दूर हो जाते हैं। खासकर शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिवजी समेत शनिदेव की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। इस वर्ष का पहला प्रदोष व्रत शनिवार 15 जनवरी को है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिवजी और माता पार्वती की पूजा-आराधना की जाती है। अगर आप भी भगवान शिव और शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनि प्रदोष व्रत के दिन इन मंत्रों का जरूर जाप करें-

प्रदोष व्रत तिथि

पौष, शुक्ल त्रयोदशी शनिवार 15 जनवरी, 2022 को है। त्रयोदशी तिथि 14 जनवरी को रात्रि में 10 बजकर19 मिनट पर शुरु होकर 16 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान साधक भगवान शिव जी एवं शनिदेव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

1.

पंचाक्षरी मंत्र

ॐ नम: शिवाय।

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3.

लघु महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः

4.

शिव गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।

शनिदेव में मंत्र

5.

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।

आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।

6.

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।

ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।

ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।

ऊँ मन्दाय नमः।

ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।

7.

शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

8.

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

9.

शनि महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

10.

शनि का वैदिक मंत्र

ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

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