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GPF New Rules: 1 अप्रैल से लागू होंगे GPF पर टैक्स के नए नियम, ये बातें आपको जरूर जाननी चाहिए

डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू ने नए नियम के बारे में 15 फरवरी, 2022 को नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ऐसे सरकारी कर्मचारी जिनके जीपीएफ में वित्त वर्ष 2020-21 में 5 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा हुई है, उन्हें इस पर मिले इंट्रेस्ट की जानकारी देनी होगी

General Provident Fund (GPF) पर टैक्स के नियम 1 अप्रैल से बदल जाएंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 (Budget 2021) में इसका ऐलान किया था। नए नियम क्या हैं, इसके दायरे में कौन-कौन आएगा, आप पर इसका क्या असर पड़ेगा? आइए इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

पिछले साल अपने बजट भाषण में फाइनेंस मिनिस्टर ने GPF पर मिलने वाले इंट्रेस्ट पर टैक्स लगाने का प्रपोजल पेश किया था। हालांकि, जीपीएफ में एक सीमा से ज्यादा कट्रिब्यूशन पर ही उसके इंट्रेस्ट पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव था। सरकार ने इस प्रस्ताव को ध्यान में रख पिछले साल अगस्त में इनकम टैक्स रूल्स 1962 में संशोधन किया था। इसमें कहा गया है कि नॉन-गवर्नमेंट इंप्लॉयीज के लिए जीपीएफ में कंट्रिब्यूशन की सीमा 2.5 लाख रुपये और गवर्नमेंट इंप्लॉयीज के लिए 5 लाख रुपये होगी।

डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू ने इस बारे में 15 फरवरी, 2022 को नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ऐसे सरकारी कर्मचारी जिनके जीपीएफ में वित्त वर्ष 2020-21 में 5 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा हुई है, उन्हें इस पर मिले इंट्रेस्ट की जानकारी देनी होगी। यह जानकारी फरवरी 2022 की सैलरी बनने से पहले देने को कहा गया था ताकि उनकी सैलरी और अलाउन्सेज से टीडीएस काटा जा सके।

PF पर किसे चुकाना होगा टैक्स?

इनकम टैक्स रूल्स, 1962 के रूल 9D के मुताबिक, सभी नॉन-गवर्नमेंट इंप्लॉयीज जिनका इंप्लॉयर प्रोविडेंट फंड में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा कंट्रिब्यट करता है, उन्हें अपने EPF पर मिले इंट्रेस्ट पर टैक्स देना होगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज ने पिछले साल 98 को इनकम टैक्स रूल, 1962 में शामिल किया था।

इसी तरह सभी गवर्नमेंट इंप्लॉयीज (जिनका इंप्लॉयर कंट्रिब्यूट नहीं करता है) और जिनके प्रोविडेंट फंड में सालाना 5 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा होती है, उन्हें GPF पर मिले इंट्रेस्ट पर टैक्स देना होगा।

कैसे होगा टैक्स का कैलकुलेशन?

पहला, वित्त वर्ष 2021-22 के बाद से पीएफ अकाउंट के तहत दो सेपरेट अकाउंट होंगे। इसका मकसद टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल इनकम को अलग-अलग करना है। गवर्नमेंट नोटिफिकेशन में टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल इनकम को इस तरह बताया गया है:

नॉन-टैक्सेबल इनकम में ये चीजें शामिल होंगी:

1. 31 मार्च, 2021 को अकाउंट में क्लोजिंग बैलेंस।

2. अकाउंट में प्रीवियस ईयर 2021-22 और उसके बाद के प्रीवियस ईयर्स में इंप्लॉयी की तरफ से किया गया कंट्रिब्यूशन, जिसे टैक्सेबल कंट्रिब्यूशन अकाउंट में शामिल नहीं किया जाता है।

3. उपर्युक्त 1 और 2 पर मिला ब्याज

टैक्सेबल कंट्रिब्यूशन में ये चीजें आएंगी:

1. अकाउंट में प्रीवियस ईयर 2021-22 और बाद के प्रीवियल ईयर्स के दौरान इंप्लॉयी के द्वारा किया गया कोई कंट्रिब्यूशन, जो तय सीमा से ज्यादा हो।

2. उपर्युक्त 1 पर मिला इंट्रेस्ट।

इसका मतलब है कि 31 मार्च, 2021 तक इंप्लॉयीज के द्वारा किया गया सभी कंट्रिब्यूशन नॉन-टैक्सेबल होंगे और वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सभी कंट्रिब्यूशंस जो तय सीमा से ज्यादा होंगे, उन पर टैक्स देना होगा।

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