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मध्य प्रदेश

MP News: ओंकारेश्वर में स्थापित होगी 108 फिट ऊंची आदिगुरू शंकराचार्य की प्रतिमा, तैयारी शुरू

ओंकारेश्वर का महत्व इसलिए है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने यहीं से दीक्षा ली थी. अब अध्यात्म की नगरी ओंकारेश्वर में जगतगुरु की 108 फीट की प्रतिमा स्थापित की जा रही है.

Sehore News: देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर (Omkareshwar) तीर्थ अलौकिक है. यह तीर्थ नर्मदा नदी (Narmada River) के किनारे विद्यमान है. नर्मदा नदी के दो धाराओं के बंटने से एक टापू का निर्माण हुआ था जिसका नाम मान्धाता पर्वत पड़ा. आज इसे शिवपुरी (Shivpuri) भी कहा जाता है. इसी पर्वत पर भगवान ओम्कारेश्वर-महादेव विराजमान हैं. ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट ही एक अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग है. इन दोनों ज्योतिर्लिंगों की गिनती एक ही ज्योतिर्लिंग के रूप में की जाती है.

कहते हैं भगवान शंकर के महान भक्त अम्बरीष और मुचुकंद के पिता सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने इस पर्वत पर कठोर तपस्या करके प्रभु को प्रसन्न किया और शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान मांग लिया. तभी से उक्त प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी, जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है. इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है. इस क्षेत्र में कुल 68 तीर्थ हैं और यहां समस्त 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास माना जाता है.

ओंकारेश्वर में स्थापित होगी आदिगुरू शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा
ओमकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य ने दीक्षा ली थी यहां ओकारेश्वर मंदिर के नीचे उनकी एक गुफा है बताया जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य नर्मदा नदी में स्नान कर भगवान ओंकारेश्वर के दर्शन करने के लिए इसी गुफा से होकर भगवान के दर्शन करने पहुँचते थे. आदि गुरु शंकराचार्य ने वैसे तो देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों पर यात्रा की है. पर ओंकारेश्वर का महत्व इसलिए है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने यहीं से दीक्षा ली थी और यात्रा की शुरुआत भी ओमकारेश्वर से ही की थी. अध्यात्म की नगरी ओंकारेश्वर में जगतगुरु की 108 फीट की प्रतिमा स्थापित की जा रही है.

2 हजार करोड़ के खर्च से तैयार होगी प्रतिमा
ज्ञानेश्वर पाटिल खंडवा सांसद ने बताया मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 9 फरवरी 2017 को नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान ओंकारेश्वर में तीन संकल्प लिए थे. मांधाता पर्वत में 108 फीट की भगवान आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति स्टेचू आफ वननेस का निर्माण कराना था.  भगवान आदि शंकराचार्य के जीवन दर्शन को प्रभावी रूप से अभिव्यक्त करने के लिए शंकर संग्रहालय की स्थापना कराना था और प्रत्येक घर में अद्वैत बोध का जागरण कराने हेतु आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना कराना.

इन तीनों के निर्माण में अनुमानित राशि लगभग 2000 करोड़ खर्च की जानी है.यह निर्माण अगले 2 वर्षों में पूरा होना था पर नही हो पाया. भगवान आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट की मूर्ति स्टैचू आफ वननेस (एकात्मता की मूर्ति) के लिए टर्नर कोनसेसियम को अपाइंटमेंट (अनुबंधित) किया गया है. जिन्होंने स्टेचू आफ यूनिटी और बुर्ज खलीफा जैसी इमारतों के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी तपस्या
वही संजय राठी जानकार बताते हैं कि पूरी दुनिया में ओमकारेश्वर अध्यात्म और धार्मिक महत्व सभी जानते हैं. ओम रूपी पर्वत पर बसे ओमकारेश्वर में भगवान शंकर स्वयंभू प्रकट हुए थे ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के 10 वीं पीढ़ी के वंशजों ने तपस्या कर भगवान शंकर ओमकारेश्वर में बसने के लिए प्रार्थना की थी.आदि गुरु शंकराचार्य ने अपने गुरु गोविंद भगवत पाद से दीक्षा ग्रहण कर यात्रा शुरू की थी. आदि गुरु शंकराचार्य कि ओमकारेश्वर में एक गुफा भी बताई जाती है जहां पर उन्होंने तपस्या की थी. ओमकारेश्वर से यात्रा शुरू करने के पश्चात आदि गुरु शंकराचार्य खंडवा के अहमदपुर गांव में रात्रि विश्राम किया था.

तेजी से शुरू हुआ निर्माण कार्य
खंडवा की ओमकारेश्वर में स्थापित होने वाले आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के लिए कार्य तेजी से चल रहा है तभी नर्मदा नदी पर प्रतिमा स्थल तक पहुंचने के लिए ब्रिज सेतु का निर्माण कराया जा रहा है साथ ही साथ निर्माण कार्य में लगने वाली सामग्री को निर्माण स्थल तक पहुंच मार्ग का निर्माण किया जा रहा है अभी तक इसमें 25 हेक्टेयर भूमि वन विभाग से और 19 हेक्टेयर जमीन राजस्व की उपयोग की जा चुकी है इस कार्य हेतु अभी भी 25 हेक्टेयर भूमि की मांग की जा रही है जिसके लिए जिला प्रशासन संस्कृति विभाग से चर्चा कर जमीन उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है. आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थल ओंकारेश्वर पर्वत पर पार्किंग बनाए

जाने को लेकर लोगों में आक्रोश है लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाला ओंकार पर्वत पर परिक्रमा मार्ग है यहां पार्किंग मनाया जाने से इसका महत्व कम होगा और परिक्रमा करने वालों को समस्या होगी साथ ही साथ लोगों का मानना है कि अवांछित रूप से हरे भरे पेड़ों को काटा जा रहा है जो नहीं होना चाहिए वही चन्दर सिंह सोलंकी अनुविभागीय अधिकारी ने बताया है कि इन आपत्तियों को लेकर लोगों से चर्चा कर रहे है और जल्द ही लोगों आक्रोश समाप्त करने का प्रयास किया जाएगा.

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