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राजनीति

‘कच्चे तेल की वजह से नहीं, एक्साइज ड्यूटी के चलते बढ़े डीजल-पेट्रोल के दाम’, कांग्रेस ने किया बड़ा दावा

सुरजेवाला ने कहा कि इसके तहत 31 मार्च को सुबह 11 बजे कांग्रेस कार्यकर्ता अपने घरों के बाहर और सार्वजनिक जगहों पर रसोई गैस सिलेंडर को माला पहना कर, घन्टी और ड्रम बजा कर प्रदर्शन करेंगे.

कांग्रेस ने एक बार फिर बढ़ती महंगाई को लेकर बीजेपी को निशाने पर लिया है. कांग्रेस ने कहा है कि ‘एक तरफ देश के लोगों की आमदनी कर दी कम….और बेतहाशा दूसरी तरफ महंगाई का दे दिया गम. रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि कांग्रेस, देशभर में तीन चरणों का कांग्रेस ‘मंहगाई मुक्त भारत’ अभियान शुरू करेगी.

सुरजेवाला ने कहा कि इसके तहत 31 मार्च को सुबह 11 बजे कांग्रेस कार्यकर्ता अपने घरों के बाहर और सार्वजनिक जगहों पर रसोई गैस सिलेंडर को माला पहना कर, घन्टी और ड्रम बजा कर प्रदर्शन करेंगे. 2 से 4 अप्रैल के बीच देश भर में जिला स्तर पर और 7 अप्रैल को राज्यों की राजधानी में कांग्रेस कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन करेंगे.

सुरजेवाला ने कहा कि पिछले पांच दिनों में चौथी बार पेट्रोल-डीजल के दाम प्रतिदिन बढ़ाए हैं. मई 2014 में मोदी जी ने जब सत्ता संभाली तब पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9 रूपए 20 पैसे प्रति लीटर थी वहीं डीजल पर ये 3 रुपए 46 पैसे. पिछले 8 सालों में डीजल पर 531 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है और पेट्रोल पर 203 प्रतिशत.

सुरजेवाला के मुताबिक मनमोहन सिंह के समय जब कच्चा तेल, 108 से 140 रुपए गया तो पेट्रोल 71 रुपए 41 पैसे और डीजल 55 रुपए 49 पैसे प्रति लीटर था. अब जब कच्चा तेल 108 रुपए हुआ है तो पेट्रोल 98.61 प्रति लीटर और डीजल 89.87 प्रति लीटर है. पिछले दो सालों में ही 29 रुपए पेट्रोल पर तो डीजल पर 27.58 पैसे डीजल पर बढ़ाए गए हैं.

सुरजेवाला ने कहा कि 2011-12 में कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल पर एक लाख ग्यारह हजार करोड़ की सब्सिडी दी, जो 2012-13 में बढ़कर 1 लाख 64 हजार 364 करोड़ हो गया. यानी औसतन डेढ़ लाख करोड़ रुपया मनमोहन सरकार पेट्रोलियम कंपनियां को देती थी, ताकि आमजनों को तेल के दामों पर बोझ न पड़े.

कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने सब्सिडी कम कर दी. एक लाख 50 हजार करोड़ जो कांग्रेस सरकार सब्सिडी के तौर पर देती थी आज वो ग्याहर हजार करोड़ की हो गई है. कांग्रेस के शासन में गैस सिलेंडर 410 वहीं आज देश में 1100 से 1200 रुपए था. 2014 के मुकाबले अंतराराष्ट्रीय बाजार में कम हुए फिर भी देश में बढ़ गए.

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