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बंद हो जाएंगी मुफ्त वाली स्कीमें? राज्यों की हालत हो रही खस्ता; PM को दिया गया अपडेट

PM Modi Meeting With Bureaucrats: अधिकारियों ने पीएम मोदी के साथ चर्चा में कहा कि मुफ्त वाली स्कीमें राज्य ऐसे ही चलाते रहे तो श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है. वहां जरूरी चीजों की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है.

  • भयंकर आर्थिक संकट झेल रहा है श्रीलंका
  • श्रीलंका में रसोई गैस के लिए लगीं लंबी-लंबी लाइनें
  • बिजली कटौती से परेशान हैं श्रीलंका के लोग

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में, कुछ अधिकारियों ने कई राज्यों की तरफ से घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जताई और दावा किया कि वे आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं और वे उन्हें श्रीलंका (Sri Lanka) के रास्ते पर ले जा सकती हैं.

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PM मोदी के साथ 4 घंटे तक चली बैठक

पीएम मोदी ने शनिवार को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की. बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए.

बड़ा दृष्टिकोण अपनाएं अधिकारी

सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान, पीएम मोदी ने अधिकारियों से साफ तौर पर कहा कि वे कमियों के प्रबंधन की मानसिकता से बाहर निकलकर अतिरिक्त के प्रबंधन की नई चुनौती का सामना करें. पीएम मोदी ने प्रमुख विकास परियोजनाओं को नहीं लेने के बहाने के तौर पर ‘गरीबी’ का हवाला देने की पुरानी कहानी को छोड़ने और उनसे एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा.

एक टीम की तरह काम करना होगा

कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया, उसका उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में काम करना चाहिए, न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए.

उन्होंने सचिवों से फीडबैक देने और सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के लिए भी कहा, जिनमें वे भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से संबंधित नहीं हैं. सूत्रों ने कहा कि 24 से अधिक सचिवों ने अपने विचार पीएम मोदी को बताए.

जान लें कि 2014 के बाद से प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ ये नौवीं बैठक थी. सूत्रों ने कहा कि दो सचिवों ने हाल के विधान सभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है. उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं.

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श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. लोगों को ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है, जरूरी चीजों की आपूर्ति कम है. साथ ही लोग लंबे समय तक बिजली कटौती के कारण हफ्तों से परेशान हैं. ऐसी बैठकों के अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने शासन में समग्र सुधार के लिए नए विचारों का सुझाव देने के लिए सचिवों के 6 क्षेत्रीय समूहों का भी गठन किया है.

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