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उत्तराखंड

सरकारी कर्मचारियों-शिक्षकों के तबादले को बदले नियम,वार्षिक तबादला ऐक्ट की समय सारिणी में होगा संशोधन

उत्तराखंड सरकार वार्षिक तबादला ऐक्ट की समय सारिणी में संशोधन करने जा रही है। ऐसे में अब सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के तबादले इस बार कुछ देर से होंगे। कार्मिक विभाग ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को प्रस्ताव भेज दिया है। राज्य में कर्मचारियों और शिक्षकों के तबादलों के लिए 10 जून तय की गई है।

उत्तराखंड में कर्मचारियों और शिक्षकों के तबादले इस बार कुछ देर से होंगे। सरकार वार्षिक तबादला ऐक्ट की समय सारिणी में संशोधन करने जा रही है। कार्मिक विभाग ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को प्रस्ताव भेज दिया है। तबादला ऐक्ट के अनुसार, राज्य में कर्मचारियों और शिक्षकों के तबादलों के लिए 10 जून की डेडलाइन तय है।

प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चलते 10 मार्च तक आचार संहिता लागू रही। इसके बाद 23 मार्च को सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी हो पाई। इससे तबादलों से पूर्व की जाने वाली तैयारियां अंजाम तक नहीं पहुंच पाईं। सामान्य तबादलों के तहत विभागाध्यक्षों को 31 मार्च तक चिह्निकरण की प्रक्रिया पूरी करनी था पर ज्यादातर विभाग इसे पूरा नहीं कर पाए।

तबादला ऐक्ट में भी प्रावधान है कि यदि किसी वजह से तय समय सारिणी के मुताबिक तबादले न हो पा रहे हों तो फिर सरकार इसमें संशोधन कर सकती है। सूत्रों ने बताया, उच्चस्तर के निर्देश के बाद कार्मिक विभाग ने तबादलों की समय सारिणी में संशोधन का प्रस्ताव सीएम को भेजा है।

इस पर अनुमोदन मिलते ही कार्मिक के स्तर से सभी विभागों को निर्देश जारी हो जाएंगे। माना जा रहा है कि इस बार तबादले जून के अंतिम हफ्ते तक हो पाएंगे। 

दो वर्ष से शून्य था तबादला सत्र : कोविड 19 के चलते राज्य में बीते दो वर्ष से सरकार ने वार्षिक तबादला सत्र शून्य घोषित कर दिया था। हालांकि, इस बीच धारा-27 के तहत बीमार, विधवा, दांपत्य नीति, नेताओं के करीबी शिक्षक व कर्मचरियों के भरपूर तबादले हुए। कर्मचारी-शिक्षक संगठनों ने इसका खुलकर विरोध भी किया था। अब ऐक्ट के अनुसार, सरकार 10 फीसदी तबादले करने जा रही है। इससे वर्षों से दुर्गम क्षेत्रों में तैनात कर्मचारी-शिक्षकों में सुगम में आने की आस जगी है। 

आचार संहिता की वजह से प्रक्रिया विलंब से शुरू हो पाई। तबादलों की समय सारिणी में संशोधन के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। तिथियों में थोड़ा-बहुत संशोधन हो सकता है। 
अरविंद ह्यांकी, सचिव, कार्मिक 

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