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राजस्थान

राजस्थान में फिर मंत्रिमंडल फेरबदल की आहट! जानिये क्या कहते हैं सीएम अशोक गहलोत के संकेत

अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फिर फेरबदल के संकेत: राजस्थान में एक बार फिर से गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल (Gehlot cabinet reshuffle) की चर्चायें सियासी गलियारों में जोर पकड़ रही है. इसकी वजह है हाल ही में सीएम अशोक गहलोत की ओर से इसको लेकर दिया गया एक बयान. गहलोत के इस बयान को राजनीति के जानकार बड़ा संकेत मान रहे हैं. पढ़ें क्यों शुरू हुई ये चर्चा.

जयपुर. राजस्थान के सियासी गलियारों में फिर एक बार फिर से गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल (Gehlot cabinet reshuffle) की चर्चाएं जोरों पर हैं. ये चर्चाएं भी बेवजह नहीं है बल्कि इसे कुछ घटनाक्रमों से जोड़ा जा रहा है. हाल ही में डूंगरपुर जिले में रतनपुर बॉर्डर पर कांग्रेस की गौरव यात्रा को संबोधित करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने चुटकी ली थी कि गोविन्द सिंह डोटासरा, डॉ. रघु शर्मा और हरीश चौधरी तो कभी भी वापस मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं. यह बात भले ही हल्के-फुल्के अंदाज में कही गई हो लेकिन इसे मंत्रिमंडल फेरबदल के भावी संकेत माने जा रहे हैं. इससे पहले पिछले साल 21 नवंबर को राजस्थान में लंबे सियासी कयासों के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था.

मंत्रिमंडल विस्तार के दिन ही पीसीसी में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा था कि जल्दी ही एक पुनर्गठन फिर से होगा. इस पुनर्गठन में मंत्रियों की परफॉर्मेंस के आधार पर फेरबदल होगा. माकन ने यह फेरबदल मई-जून के आसपास होने के संकेत भी दिए थे. अब मुख्यमंत्री ने इससे जुड़ा बयान देकर प्रदेश में सियासी हलचल पैदा कर दी है.

पहले भी इसी तरह दिए थे संकेत
पिछली बार जब 21 नवंबर को मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था तो उससे कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री सचिवालय में कर्मचारी संघ के समारोह में गए थे और वहां इसी तरह हल्के-फुल्के अंदाज में मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दिए थे।. अब फिर उसी अंदाज में मुख्यमंत्री ने यह शगूफा छोड़ दिया है. प्रदेश में जुलाई से पहले राज्यसभा चुनाव होने हैं. चर्चाएं हैं कि राज्यसभा चुनाव से पहले ही राजस्थान में यह बड़ा सियासी घटनाक्रम देखने को मिल सकता है.

अधिकतम 30 मंत्री हो सकते हैं
राज्य मंत्रिमंडल में अधिकतम 30 मंत्री हो सकते हैं. वर्तमान में यह कोटा पूरा है. प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत 20 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्री हैं. अब यदि मंत्रिमंडल में किसी नए चेहरे की एंट्री होती है तो उसकी जगह किसी चेहरे को बाहर भी करना पड़ेगा. ऐसे में परफॉर्मेंस ही इस फेरबदल का पैमाना होगा. पिछली बार जब मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ था तो गोविन्द सिंह डोटासरा, डॉ. रघु शर्मा और हरीश चौधरी मंत्रिमंडल से बाहर हुए थे.

कुछ और चेहरों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है
डॉ. रघु शर्मा गुजरात और हरीश चौधरी पंजाब प्रभारी का जिम्मा संभाल रहे हैं तो डोटासरा अभी पीसीसी चीफ हैं. अब इन्हें वापस मंत्रिमंडल में लिया जाता है तो इन्हें वर्तमान जिम्मेदारियों से मुक्त भी किया जा सकता है. सियासी समीकरण साधने के लिए कुछ और चेहरों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. बहरहाल अभी चर्चाएं शुरु हुई हैं. ये कयास हकीकत में तब्दील हो पाएंगे या नहीं इसके लिए अभी कुछ इंतजार करना होगा.

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