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झारखण्ड

उरांव जनजाति की बेटियों का पैतृक संपत्ति में होगा हक़, झारखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

Jharkhand News: प्रार्थी प्रभा मिंज ने निचली अदालत में पैतृक संपत्ति में हिस्से को लेकर याचिका दायर की थी. लेकिन निचली अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि कस्टमरी लॉ में उरांव जनजाति की बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्से का प्रावधान नहीं है. जिसके बाद प्रार्थी ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उरांव जनजाति में अब बेटियों का भी बेटे के समान पैतृक संपत्ति पर हिस्सा होगा

रांची. झारखंड हाईकोर्ट ने उरांव जनजाति की बेटियों को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उन्हें भी बेटों के सामान पैतृक संपत्ति में हक़ देने का फैसला दिया है. प्रार्थी प्रभा मिंज की याचिका पर 22 अप्रैल को झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने यह फैसला सुनाया. इस मामले में पूर्व में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए निचली अदालत के फैसले को निरस्त (रद्द) कर दिया है. प्रार्थी प्रभा मिंज ने निचली अदालत में पैतृक संपत्ति (Family Property) में हिस्से को लेकर याचिका दायर की थी. लेकिन निचली अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि कस्टमरी लॉ में उरांव जनजाति की बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्से का प्रावधान नहीं है. जिसके बाद प्रार्थी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उरांव जनजाति में अब बेटियों का भी बेटे के समान पैतृक संपत्ति पर हिस्सा होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने अपील याचिका को स्वीकार कर लिया है. ‌

प्रार्थी की ओर से मामले की पैरवी करने वाले वकील राहुल कुमार गुप्ता ने बताया कि कोर्ट के इस फैसले का असर दूर तक देखा जाएगा. उन्होंने कहा कि कस्टमरी लॉ की वजह से बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्से को लेकर काफी परेशानी आ रही थी.

मामले की प्रार्थी प्रभा मिंज ने बताया कि रांची के नामकुम आरा गेट के पास उनकी 11 एकड़ 35 डिसमिल पुश्तैनी जमीन थी. प्रभा मिंज तीन बहनें है, उनका कोई भाई नहीं है. ऐसे में स्थानीय दलाल ने दो पार्टियों को खड़ा कर गलत दस्तावेज बनाकर तकरीबन आधी जमीन बेच दी. इसमें एक पार्टी चाईबासा के माइकल मिंज और आर्थर मिंज थे, जो कोलकाता में रेलवे में कर्मचारी थे. वहीं, दूसरी पार्टी गिरिडीह की थी जिसमें अजय मिंज और अरुण मिंज को मालिक बना कर जमीन बेच दी गई. ‌

प्रार्थी प्रभा मिंज ने बताया कि उन्होंने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए चाईबासा के रहने वाले दोनों लोगों का सर्विस दस्तावेज निकालकर कोर्ट में प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि वो मूल रूप से खतियानी लिंडा समाज से ताल्लुक रखती हैं. जबकि जमीन के गलत रूप से मालिक बन बैठे दोनों पार्टियां मिंज समाज से हैं.

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