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झारखण्ड

बिजली संकट से परेशान हुईं महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी, झारखंड सरकार से पूछा सवाल

jharkhand Power Crisis: झारखंड में हाल के दिनों में जारी बिजली संकट से सभी लोग परेशान हैं. भीषण गर्मी के कारण लोग बिजली की समस्या से ज्यादा त्रस्त हो रहे हैं. झारखंड में डीवीसी के दो और टाटा पावर के दो पावर प्लांट हैं. डीवीसी से उत्पादित 2000 मेगावाट में 600 मेगावाट बिजली ही झारखंड को मिल पाती है.

रांची. झारखंड में लगातार हो रही लोड शेडिंग से जहां आम लोग परेशान हैं वहीं खास लोग भी इस समस्या से खासा परेशान और नाराज हैं. जनता इतनी परेशान है कि सड़क से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गुस्से का इजहार कर रही है. पावर कट की समस्या से परेशान होने वाले लोगों की लिस्ट में स्टार क्रिकेटर और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी धोनी का भी नाम जुड़ गया है. साक्षी ने तो बिजली संकट की समस्या को लेकर सीधे-सीधे सरकार से ही सवाल पूछ लिया है कि आखिर इतने सालों से यह समस्या क्यों है?

बिजली की समस्या क्यों है?
सोमवार की देर शाम पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी धोनी ने झारखंड में बिजली की समस्या को लेकर ट्विटर पर अपनी भड़ास निकाली. उन्होंने ट्वीट करके सरकार से पूछा कि झारखंड में इतने सालों से बिजली की समस्या क्यों है? साक्षी धोनी ने ट्वीट करते हुए सरकार से पूछा है कि झारखंड की एक टैक्स पेयर होने के नाते जानना चाहती हूं कि झारखंड में इतने सालों से बिजली की समस्या क्यों है.

चिराग तले अंधेरा
झारखंड में स्थापित पावर प्लांटों से कुल क्षमता प्रतिदिन 4826 मेगावाट बिजली उत्पादित करने की है. फिलहाल, रोजाना 4246 मेगावाट बिजली उत्पादित भी हो रही है, लेकिन राज्य को इसमें से मात्र 1246 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है. शेष 3000 मेगावाट बिजली दिल्ली, पंजाब और केरल को चली जाती है. इधर, बढ़ती गर्मी के बीच झारखंड में बिजली की मांग 2600 मेगावाट तक बढ़ गयी है, जिसमें से बमुश्किल 2200 से 2300 मेगावाट तक की ही आपूर्ति की जा रही है. ऐसे में लगातार लोड शेडिंग हो रही है. कुल मिलाकर झारखंड में ‘चिराग तले अंधेरा’ वाली स्थिति है.

राज्य को कम मिलती है बिजली
झारखंड में डीवीसी के दो और टाटा पावर के दो पावर प्लांट हैं. डीवीसी से उत्पादित 2000 मेगावाट में 600 मेगावाट बिजली ही झारखंड को मिल पाती है. शेष बिजली दिल्ली और पंजाब को जाती है. टाटा पावर के जोजेबेड़ा से उत्पादित बिजली टाटा स्टील को मिलती है. वहीं, टाटा पावर व डीवीसी के संयुक्त उपक्रम मैथन पावर से 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.

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