अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया. मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिकूल हालात और नीतिगत दर में वृद्धि को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
मुद्राकोष ने जुलाई 2022 के विश्व आर्थिक परिदृश्य की ताजा रिपोर्ट में कहा कि महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संकट में फंसी वैश्विक अर्थव्यवस्था अनश्चित हालात और परिदृश्य का सामना कर रही है.
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मंगलवार को जारी रिपोर्ट में आईएमएफ ने 2022 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर 3.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल 6.1 फीसदी थी. वैश्विक वृद्धि दर 2022 में 3.2 फीसदी और 2023 में 2.9 फीसदी रहने की संभावना है. यह अप्रैल, 2022 में विश्व आर्थिक परिदृश्य में जताये गये अनुमान से क्रमश: 0.4 फीसदी और 0.7 फीसदी कम है.
इसमें कहा गया है कि 2022-23 के लिये चीन और अमेरिका के साथ-साथ भारत के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम करने से वैश्विक वृद्धि दर के अनुमान को घटाया गया है. अप्रैल, 2022 में विश्व आर्थिक परिदृश्य में जो जोखिम की आशंका जतायी गयी थी, वह अब हकीकत बन रही है.
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यह चीन में महामारी के कारण उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’, मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से मौद्रिक नीति कड़ा किये जाने के साथ वैश्विक वित्तीय स्थिति तंग होने तथा यूक्रेन युद्ध के असर का नतीजा है.
आईएमएफ के मुताबिक, भारत के परिदृश्य को 0.8 प्रतिशत घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया गया है. इसका कारण प्रतिकूल वैश्विक स्थिति और मौद्रिक नीति को कड़ा किया जाना है.