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हरियाणा: लंपी वायरस और स्वाइन फ्लू की चपेट में आने से पशुओं की मौत, शवों को नहरों में फेंक रहे लोग

Lumpy Diesease: रोहतक में हालात ऐसे हैं कि नहरों में किसी भी वक्त आपको मृत मवेशियों के शव तैरते हुए नजर आ जाएंगे. लेकिन ये कहां से आ रहे हैं, इसके बारे में अभी तक पता लगाने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रहा है और पिछले 15 दिन से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है.

रोहतक. गायों में लंपी वायरस के अलावा सूअरों में स्वाइन फ्लू भी बड़ी तेजी से फ़ैल रहा है, जिससे काफी मवेशियों की मौत हो रही है और खतरा भी लगातार बढ़ रहा है.  क्योंकि कुछ पशुपालक इन मृत पशुओं को दफनाने की बजाए नहरों में फेंक रहे हैं, जिससे संक्रमण फैलने की संभावना काफी बढ़ गई है. रोहतक से दो नहर निकलती हैं, एक का नाम जवाहरलाल नेहरू कैनाल है और दूसरी भालौठ सब-ब्रांच के नाम से जानी जाती है. पिछले लगभग 15 दिन से इन दोनों नहरों में मृत पशुओं को फेंका जा रहा है और हालात यह बन गए हैं कि अब तक तकरीबन 200 से ज्यादा पशुओं को नहर से निकाला जा चुका है.

लेकिन नहर में बहकर आने वाले मृत पशुओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा. आशंका जताई जा रही है कि ये मृत पशु लंपी वायरस या स्वाइन फ्लू की चपेट में आए हैं. उसके बाद इनकी मौत होने के बाद इनको नहरों में फेंका जा रहा है, जो कि पीछे से बहकर आ रहे हैं और यहां पर साइफन में फंस जाते हैं.

सुनो नहरों की पुकार मिशन के पदाधिकारी डा. जसमेर सिंह ने बताया कि 10 अगस्त के आसपास से यह सिलसिला लगातार जारी है. हर रोज दोनों नहरों में मृत सूअर और गाय मिल रहे हैं, जो कि पीछे से बहकर आ रहे हैं. इन नहरों से कई जिलों में पेयजल सप्लाई होता है, जिससे पानी तो प्रदूषित होता ही है साथ ही पशुओं में भी बीमारी फैलने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. जिला प्रशासन को शिकायत करने के बाद अब इन मृत पशुओं को निकाल कर इन्हें हर रोज दफनाया जाता है, लेकिन इन पर अभी तक रोक नहीं लग पाई है.

वहीं, इस बारे में पशु विशेषज्ञ डा. राजेन्द्र सिंह ने बताया कि जिस तरह से मृत पशुओं को नेहरों में फेंका जा रहा है, वह ठीक नहीं है इससे बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है. पशु पालकों को चाहिए कि अगर कोई मवेशी बीमारी के चलते मर जाता है तो उसे जमीन के अंदर गड्ढा खोदकर दफनाना चाहिए, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके

फिलहाल रोहतक में हालात ऐसे हैं कि नहरों में किसी भी वक्त आपको मृत मवेशियों के शव तैरते हुए नजर आ जाएंगे. लेकिन ये कहां से आ रहे हैं, इसके बारे में अभी तक पता लगाने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रहा है और पिछले 15 दिन से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है.

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